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कुटुम्ब प्रबोधन – बाड़मेर में सास-बहू सम्मेलन का आयोजन, पारिवारिक संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर

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बाड़मेर। कुटुम्ब प्रबोधन के तहत पारिवारिक रिश्तों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से सास-बहू सम्मेलन का आयोजन किया गया। अनूठे आयोजन में विभिन्न समाज की सास-बहू की जोड़ियां सम्मिलित हुईं। रविवार (2 मार्च) शाम को यह सम्मेलन स्थानीय जांगिड़ समाज भवन में संपन्न हुआ, जहां उपस्थित महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए सास-बहू के रिश्ते के महत्व पर प्रकाश डाला और इस संबंध को मां-बेटी की तरह निभाने की अपील की।

कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें एक सास ने बताया कि उन्होंने अपनी बहू को बेटी की तरह अपनाया और उसका समर्थन किया। जब उनकी बहू ससुराल आई थी, तब उसने केवल 12वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की थी। लेकिन ससुराल में उसे आगे की पढ़ाई पूरी करने का अवसर दिया और उसने NEET परीक्षा में भी सफलता प्राप्त की। सास ने कहा कि हर सास को अपनी बहू को बेटी की तरह मानना चाहिए ताकि परिवार में सामंजस्य बना रहे।

इसी तरह, एक बहू ने कहा कि प्रत्येक सास चाहती है कि उसकी बहू संस्कारी और अच्छी हो, इसलिए मां को भी अपनी बेटी को अच्छे संस्कार देने चाहिए। अगर सास अपनी बहू को बेटी की तरह मानेगी, तो वह ससुराल में खुशी से रह पाएगी और घर की मान-मर्यादा का सम्मान करेगी।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक नंदलाल बाबा ने सास-बहू के रिश्ते को जीवन के उतार-चढ़ाव से जोड़ते हुए कहा कि रिश्ते जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मजबूत होते हैं। उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान राम को 14 वर्षों तक वनवास भोगना पड़ा और भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ, लेकिन दोनों ने अपने रिश्तों को निभाया। परिवार में प्रेम और आपसी सहयोग ही इसकी नींव होते हैं। जब सास-बहू के बीच प्रेम और सम्मान का रिश्ता होगा, तो पूरा परिवार एकजुट रहेगा।

बाड़मेर विभाग संघचालक मनोहर लाल बंसल ने सम्मेलन में कहा कि शायद बाड़मेर में पहली बार इस तरह का कोई आयोजन हुआ है। कुटुम्ब प्रबोधन संघ के पंच परिवर्तनों में से एक है और सरसंघचालक जी इस विषय पर विशेष रूप से चर्चा कर रहे हैं। पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण भारतीय परिवारों में संबंधों का महत्व कम हो रहा है और परिवारों के टूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा कि संस्कार, संवाद और आपसी सम्मान ही परिवार को जोड़ने का आधार हैं। सास-बहू के रिश्ते को मां-बेटी जैसा बनाना चाहिए ताकि परिवार में सामंजस्य बना रहे। उन्होंने परिवार के सदस्यों को नियमित रूप से आपस में संवाद करने और एक-दूसरे की भावनाओं को समझने की सलाह दी।

कार्यक्रम में सास-बहू की जोड़ियों को शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। सभी ने इसे पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह आयोजन भारतीय समाज में संयुक्त परिवार प्रणाली को बनाए रखने और सास-बहू के रिश्ते को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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