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कोटा, 7 मार्च। भारतीय किसान संघ का स्थापना दिवस समारोह शुक्रवार को तेजा मंदिर ट्रस्ट तलवंडी में आयोजित किया गया। समारोह में भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गजेंद्र सिंह मुख्य वक्ता रहे। मंच पर प्रांत अध्यक्ष शंकरलाल नागर, संभाग अध्यक्ष गिरिराज चौधरी, प्रदेश महिला प्रमुख रमा शर्मा, उपस्थित रहे। इस दौरान भारतीय किसान संघ के संस्थापक सदस्य प्रहलाद आर्य का साफा बांधकर अभिनंदन किया गया।
समारोह में गजेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय किसान संघ की स्थापना पूर्ण विजय की संकल्पना के साथ 4 मार्च, 1979 को कोटा के दशहरा मैदान में स्व. दत्तोपंत ठेंगडी जी ने की थी। भारतीय कृषि का गुणगान कभी दुनिया भर से आने वाले विदेशी यात्रियों ने भी किया है। जिन्हें पढ़कर आज भी हमें गर्व होता है। कर्म को कर्तव्य मानने वाला, दुनिया को जीवन जीने का सलीका और उन्नत खेती करना सिखाने वाला, विश्व मंगल की कामना करने वाला भारत का किसान लगातार दुष्चक्र में फंसता चला गया। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, ये चार पुरुषार्थ हमारे राष्ट्र के प्राण हैं। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर केवल अर्थ और काम के ही वशीभूत होकर रह गए हैं। जब तक हमारे किसान और खेती की दिशा ठीक नहीं होगी, तब तक हमारी दशा भी नहीं सुधर सकती। आज धरती, बीज, वायु, जल सहित संपूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना भी हमारे सामने बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि हमारी धरती में दुनिया का पेट भरने की क्षमता है। कभी किसान धरती में हल जोतने से पूर्व साष्टांग प्रणाम करता था। वही किसान आज रासायनिक खाद डालकर भूमि को बंजर करने पर उतारू हो गया है। आज किसान के बीज को छीनने के लिए दुनिया भर में षड्यंत्र चल रहे हैं और जीएम जैसे बीज परोसे जा रहे हैं। हम उन्नत बीज तैयार करने वाले थे और उन उन्नत बीजों से उपज को प्राप्त करने का रिकॉर्ड था। उसे आज तक हम छू भी नहीं सके हैं। हमने धरती में इतना रसायन डाला कि जल, वायु और भूमि प्रदूषित हो गई। हमने हमारे ज्ञान पर विश्वास नहीं किया और अल्प ज्ञानी को ही सर्व ज्ञानी मानने लगे। जिसके कारण चिड़िया के कलरव को सुनने के लिए भी कान तरस गए हैं। जीव जंतु और पशु पक्षियों की प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं।
उन्होंने कहा कि आज देश के 600 से अधिक जिलों में भारतीय किसान संघ पहुंचा है। भारतीय किसान संघ अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण करने वाला है। ऐसे में, हमें अपने स्व का जागरण कर पूर्ण विजय के संकल्प के लिए काम करना होगा। समरसता, स्नेह, बंधु भाव, विश्वास, कुटुंब प्रबोधन, संस्कार पर काम करके समाज को बचाना है। स्वदेशी, स्वभूषा, मर्यादा, रहन-सहन, स्व खानपान व स्व के गौरव का आग्रह करते हुए आगे बढ़ना है। हमें खुशहाल गांव बनाने के लिए काम करना होगा।