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नासिक। गोदावरी घाट पर सनातन परंपरा से नित्य होने वाली महाआरती में सहभागिता करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने परंपरा के महत्व को अधोरेखित करते हुए कहा कि आरती का स्वरुप, दीपों की सौन्दर्य सम्पन्न लहरों के मध्य मंत्रध्वनि का घोष व आरक्त संध्या समय, इस दृश्य ने मन को आल्हादित किया है। गोदावरी नदी की महाआरती का सम्पूर्ण दर्शन विलोभनीय है। आरती की यह परंपरा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, अपितु राष्ट्रहित के व्यापक दृष्टिकोण से अत्यंत प्रशंसनीय है। इसके साथ नदी का सर्वांगीण विकास एवं तीर्थक्षेत्रों के आध्यात्मिक तेज को फिर से उज्ज्वलता प्रदान करने की दृष्टि से ऐसे उपक्रमों का आयोजन अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “वर्तमान में सम्पूर्ण देश में सकल हिन्दुओं का एकत्रीकरण हो रहा है। इस प्रक्रिया में गोदावरी महाआरती के आयोजन का योगदान अमूल्य एवं प्रेरणास्पद है”।
सर्वप्रथम प्रभु श्रीरामचंद्र के चरणों में नतमस्तक होते हुए उन्होंने उनके दर्शन किये, उसके पश्चात गोदा आरती में उपस्थित हुए। इसके पश्चात् रामतीर्थ गोदावरी सेवा समिति के कार्यवाह जयंत गायधनी जी ने आरती समिति के विभिन्न उपक्रमों एवं कार्यपद्धति की जानकारी दी। समिति के उपाध्यक्ष प्रभु नरसिंह कृपादास जी ने डॉ. कृष्णगोपाल जी का स्वागत करते हुए उपक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। समिति सदस्य शिवाजी बोंदार्डे जी ने स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र व पुष्पगुच्छ प्रदान कर स्वागत किया। सचिव मुकुंद खोचे जी ने समिति के वार्षिक उपक्रमों की जानकारी देकर मान्यवरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
देशभर के विभिन्न केंद्रों से पधारे 200 से अधिक युवाओं ने गोदा आरती में सहभागिता की। जवानों के भारत माता की जय एवं वन्दे मातरम् के जयघोष किया। सम्पूर्ण घाट परिसर राष्ट्रप्रेम के भाव से अभिभूत था। गोदा आरती में जवानों की उपस्थिति यह केवल धार्मिक सहभागिता नहीं थी, अपितु गोदा किनारे भारतीय संस्कृति, अध्यात्म व देशसेवा का संगम था।