Getting your Trinity Audio player ready...
|
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक-2024 पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर समिति की रिपोर्ट सौंप दी। इससे पहले समिति ने बुधवार को 655 पेज वाली रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया था। जेपीसी ने विपक्ष के विरोध के बीच 16 -10 के बहुमत से रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था। इसके तहत 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया। संशोधित वक्फ बिल में जेपीसी ने राज्य वक्फ बोर्डों में 4 गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया है. इसके अलावा राज्य सरकार के ऊपर के स्तर के अधिकारी को राज्य सरकार जांच के लिए नामित कर सकती है।
समिति ने दाउदी बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखने के लिए एक संशोधन को भी अपनाया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अधिकतर निकाय सुन्नी मुस्लिम बहुल हैं।
मुस्लिम होने का दावा करने वाला व्यक्ति अगर अपनी संपत्ति वक्फ को दान करना चाहता है, तो उसे सबूत पेश करने होंगे कि वो कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन करता आ रहा है।
वक्फ से संबंधित विवादों की जांच के लिए राज्य सरकार कलेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को सौंप सकती है।
विधवाओं और अनाथों के लिए कल्याणकारी उपायों पर फैसले के लिए वक्फ बोर्डों को कानून द्वारा अनिवार्य करने की जगह अनुमति देने का प्रस्ताव।
वक्फ बोर्ड काउंसिल में कम से कम दो मुस्लिमों का होना अनिवार्य है, यह केंद्र या राज्य द्वारा तय अधिकारी से अलग होगा।
किसी भी प्रकार की विवादित संपत्तियों को दान नहीं किया जा सकेगा।
वक्फ ट्रिब्युनल में तीन सदस्य होंगे, तीसरा इस्लामिक स्कॉलर होगा।
मुस्लिम संगठनों ने जिलाधिकारी को जांच अधिकारी बनाने का विरोध किया था। मुस्लिमों का कहना था कि जिला कलेक्टर राजस्व अभिलेखों के प्रमुख होते हैं, ऐसे में उनके द्वारा निष्पक्ष जांच की आशा नहीं की जा सकती।