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भारत में विवाह संस्था को नष्ट करने की “व्यवस्थित योजना” है लिव-इन-रिलेशन

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प्रयागराज. लिव इन रिलेशन पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की. उच्च न्यायालय ने कहा कि फिल्मों, टेलीविजन आदि के माध्यम से लिव-इन रिलेशनशिप को बढ़ावा देकर भारत में विवाह की संस्था को नष्ट करने को एक “व्यवस्थित योजना” चल रही है.

एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने कहा कि ‘लिव इन रिलेशन’ देखने और सुनने में बहुत आकर्षित लगते हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, ऐसा लगने लगता है कि इस रिश्ते की कोई सामाजिक मान्यता नहीं है और ये जीवन भर नहीं चल सकता. एक मामले के आरोपी को ज़मानत देते हुए उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की.

उच्च न्यायालय ने कहा कि, ‘मध्यम वर्ग में नैतिकता को भारत जैसे देश में अनदेखा नहीं किया जा सकता. हमारे देश में ज़्यादातर मध्यम वर्ग आबादी ही है. किसी भी देश की स्थिरता, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति उसमें रहने वाले मध्यम वर्ग की संख्या पर निर्भर करती है.’

पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, ‘पड़ोसी देश में मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग नैतिकता की कमी का प्रभाव वहां सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक असंतोष में देखा जा सकता है. पाकिस्तान की ज़्यादातर समस्याओं का कारण वहां मध्यम वर्ग की कमी है. पाकिस्तान में सिर्फ़ बेहद अमीर और बेहद गरीब ही ज्यादा हैं.’

न्यायालय ने कहा, ‘अमीरों और ग़रीबों में नैतिकता की भूमिका नहीं होती, क्योंकि अमीरी में नैतिकता मर जाती है और ग़रीबी में उसका दम घुट जाता है. बेहद अमीरों में नैतिकता नहीं होती और गरीब अपनी ग़रीबी के कारण उसका पालन नहीं कर पाते.’

जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकार्यता, प्रगति और स्थायित्व विवाह व्यवस्था में मिलता है, वो कभी भी ‘लिव इन रिलेशन’ में नहीं मिल सकता. लेकिन शादीशुदा रिश्ते में पार्टनर से बेवफाई और फ्री लिव-इन-रिलेशनशिप को प्रगतिशील समाज की निशानी के तौर पर दिखाया जा रहा है और देश में युवा इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. देश में विवाह की संस्था को समाप्त करने के लिए सिस्टमैटिक डिज़ाइन चल रहा है. फ़िल्में और टीवी सीरियल भी विवाह की संस्था को मिटाने में योगदान दे रहे हैं.

युवक पर उसकी ‘लिव इन पार्टनर’ रही युवती ने बलात्कार का आरोप लगाया था. न्यायालय ने युवक को ज़मानत देते हुए कहा कि ये भी ऐसे मामलों में से एक है, जहां ‘लिव इन रिलेशन’ को इंजॉय करने के बाद युवा अपने रास्ते अलग कर लेते हैं और जैसा ज़्यादातर मामलों में होता है, लड़की एफआईआर कर विवाह का प्रयास करती है.

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