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राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक अस्मिता और अखंडता की रक्षा सबका दायित्व – इंद्रेश कुमार जी

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शिमला, हिमाचल प्रदेश।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने प्रदेश के जनजातीय जिलों का प्रवास किया। प्रवास के दौरान उन्होंने बौद्ध अनुयायियों से भी भेंट की। किन्नौर और लाहौल स्पीति के प्रवास से शिमला पहुंचे इंद्रेश कुमार जी ने प्रेस क्लब शिमला में पत्रकारों से बातचीत (रविवार, 15 जून) की।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा चीन अधिकृत तिब्बत से लगता है और कैलाश मानसरोवर पर भी चीन का अवैध कब्जा है। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उस समय चीन के आगे सरेंडर कर दिया था, जो ऐतिहासिक रूप से एक बड़ी भूल थी। उन्होंने 1947 में ब्रिटिश हुकूमत के सामने कांग्रेस द्वारा आत्मसमर्पण और इसके कारण देश विभाजन का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि देश में कन्वर्जन को रोकने की आवश्यकता है क्योंकि कन्वर्जन के बाद किसी भी व्यक्ति की पूरी पहचान बदल जाती है। सभी नागरिकों को अपनी पूजा पद्धति पर चलने का अधिकार है और किसी की पूजा पद्धति में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। अवैध मतांतरण संघर्ष और द्वेष को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि संवाद के माध्यम से ही किसी भी समस्या का समाधान संभव है।

इंद्रेश कुमार जी ने पहलगाम आतंकी हमले पर कहा कि इस घटना ने चीन की भूमिका को उजागर किया है। भारत ने पाकिस्तान में बने आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमला किया। भारत ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीति से सावधान रहने की आवश्यकता है। चीन तिब्बती और हिमालयन बौद्ध नस्ल को समाप्त करने की कोशिश में लगा है। हमें इससे सतर्क रहना होगा। देशवासियों से आह्वान किया कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए सभी को एकजुट रहना होगा।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक अस्मिता और अखंडता की रक्षा हम सबका दायित्व है। किसी भी प्रकार की विघटनकारी शक्ति और विस्तारवादी नीति के विरुद्ध हमें सजग रहकर संवाद, भाईचारे और संगठन की शक्ति को मजबूत करना होगा।

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