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अंकिता के संघर्ष की कहानी

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इंदौर. मनुष्य का लक्ष्य के प्रति समर्पण हो और उसके लिए पूर्ण निष्ठा के साथ प्रयासरत रहें तो निश्चित ही सफलता हासिल कर सकते हैं. इसे चरितार्थ कर दिखाया इंदौर में रहने वाली अंकिता नागर ने. वे सिविल जज बनी हैं. उनके पिता जी सब्जी का ठेला लगाते हैं. जब परिणाम सामने आया तो अंकिता ने सब्जी बेच रहीं अपनी माँ के पास पहुंचकर उन्हें इस बात की जानकारी दी, तो मां की ख़ुशी देखते ही बनती थी.

25 वर्षीय अंकिता ने बताया कि उनके परिवार में सभी लोग सब्जी बेचने का काम करते हैं. पिताजी सुबह 5 बजे उठकर मंडी चले जाते हैं, मां सुबह 8 बजे सभी के लिए खाना बनाकर पापा के सब्जी के ठेले पर चली जाती हैं, फिर दोनों सब्जी बेचते हैं. वहीं बड़ा भाई मंडी में मजदूरी का काम करता है और उनकी छोटी बहन की शादी हो गई है.

अंकिता बताती हैं कि वह प्रतिदिन 8 घंटे पढ़ाई करती थी, कई बार तो ठेले पर सब्जी बेचने तक पहुँच जाती थीं. शाम के समय जब भीड़ अधिक रहती थी तो वह माता-पिता का सहयोग करती थी. फिर रात 10 बजे दुकान बंद करके घर आया करती थी. जिसके बाद 11 बजे अध्ययन हेतु बैठ जाती थी.

वह पिछले 3 वर्षों से सिविल जज की तैयारी कर रही थी, उन्होंने 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से LLB किया. 2021 में LLM की परीक्षा पास की. उनके पिताजी ने किसी से उधार लेकर उनकी फीस भरी. कॉलेज के बाद लगातार सिविल जज की तैयारी करती रहीं.

अंकिता का घर छोटा था, बारिश में पानी टपकने के साथ अन्य समस्याएं भी आम थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहीं. इस बीच उनके भाई ने उन्हें रूपये जोड़कर कूलर दिलवाया, जिससे गर्मी के समय में उन्हें परेशान न होना पड़े. ऐसी परिस्थितियों में रहकर अंकिता ने सिविल जज बनने के लिए दो बार परीक्षा दी. और अब सफलता प्राप्त हुई. अंकिता के माता पिता ने बेटी की उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की.

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