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शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य मूल्यपरक समाज का निर्माण करना है – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

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भारतीय शिक्षण मंडल की अखिल भारतीय प्रांत प्रमुख बैठक सम्पन्न

भाग्यनगर, 15 जून 2025।

भारतीय शिक्षण मंडल की अखिल भारतीय प्रान्त प्रमुख बैठक के समापन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि जीवन में मूल्य बहुत आवश्यक हैं, मूल्य ही वह गूढ़ तत्व है जो मनुष्य को मनुष्य बनाता है। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य मूल्यपरक समाज का निर्माण करना है, जिससे समृद्ध एवं सशक्त भारत को दिशा दी जा सके। जीवन में प्रशिक्षण का महत्त्व है, परन्तु यह तभी सकारात्मक परिणाम देगा जब उसके साथ मूल्यों का समावेश हो। कौशलयुक्त व्यक्ति लोगों को आकर्षित करता है, जबकि मूल्ययुक्त व्यक्ति लोगों को प्रेरित कर उनके जीवन में बदलाव लाता है।

उन्होंने कहा कि जीवन में थोड़ा ठहराव जरुरी है, यह आत्मचिंतन के लिए आवश्यक है। इससे जीवन को समझने और कार्य को गति देने में मदद मिलती है। हम समाज से जितना लेते हैं, उससे अधिक देने का भाव भारतीय मूल्यों के साथ ही संभव है। मूल्यों पर अडिग रहकर हम समाज को प्रेरित कर सकते हैं। राष्ट्र के प्रति यदि समर्पण है और जीवन में मूल्य हैं तो राष्ट्र-कार्य के लिए समय निकालना बहुत आसान है।

भारतीयता आधारित शिक्षा के वैचारिक अधिष्ठान को प्रतिष्ठित करने हेतु प्रतिबद्ध संगठन भारतीय शिक्षण मंडल की त्रि-दिवसीय अखिल भारतीय प्रान्त प्रमुख बैठक का सफल आयोजन 13 से 15 जून 2025 तक कान्हा शांति वनम, भाग्यनगर (हैदराबाद) में हुआ। बैठक का उद्घाटन त्रिपुरा के राज्यपाल इंद्रसेना रेड्डी जी ने किया था, समापन सत्र को डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने संबोधित किया।

बैठक में देशभर के सभी राज्यों से भारतीय शिक्षण मंडल के 313 वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। इसके अतिरिक्त, देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 30 से अधिक कुलगुरु, तथा राष्ट्रीय महत्त्व के शैक्षिक संस्थानों के निदेशक भी उपस्थित रहे। बैठक का उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को मूल्य निष्ठ, चरित्र निर्माण पर आधारित और भारतीय संस्कृति से पोषित बनाना था। इस लक्ष्य की पूर्ति हेतु तीन दिनों में विभिन्न बौद्धिक सत्रों, संवाद कार्यक्रमों एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इनमें शिक्षा के भारतीय दृष्टिकोण, शैक्षिक-नीति में भारतीयता का समावेश, मूल्यपरक शिक्षा की आवश्यकता, और विश्वविद्यालयों की भूमिका जैसे विषयों पर गहन विमर्श हुआ।

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