रायपुर, छत्तीसगढ़।
तुर्की के एक वामपंथी संगठन ने सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए माओवादी आतंकी बसवा राजू को श्रद्धांजलि दी है, जिससे छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सलियों का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क उजागर हो गया है। स्पष्ट हो गया है कि नक्सलियों के तार देश की सीमाओं से बाहर तक फैले हुए हैं। यह आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।
खुलासा तब हुआ, जब तुर्की के एक वामपंथी संगठन का वीडियो सामने आया। वीडियो में संगठन ने बसवा राजू को “क्रांतिकारी योद्धा” बताते हुए एंकाउंटर की निंदा की और उसे श्रद्धांजलि दी। बसवा राजू, नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) का महासचिव था, 21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगल में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में 26 अन्य नक्सलियों को भी मार गिराया था। तुर्की के वामपंथी संगठन की हरकत ने नक्सलियों के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन को उजागर कर दिया है।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, तुर्की का यह संगठन संभवतः कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) से जुड़ा है, जो पहले भी भारत के माओवादी आतंक का समर्थन करता रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस को पहले से ही संदेह था कि नक्सलियों को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है, लेकिन यह पहली बार है, जब खुला समर्थन देखने को मिला। अब जांच का विषय है कि क्या तुर्की से नक्सलियों को हथियार, आर्थिक मदद या प्रशिक्षण मिल रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था – “बसवा राजू नक्सलियों का मुख्य रणनीतिकार था और कई हमलों में उसकी भूमिका थी। उसकी मौत से संगठन को बड़ा झटका लगा है।”
तुर्की के वामपंथी संगठन की यह हरकत दर्शाती है कि नक्सलियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिल रहा है।
खुलासा ऐसे समय में हुआ है, जब भारत नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रहा है। बीते डेढ़ वर्षों में सुरक्षा बलों ने जंगलों में 400 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है। नक्सलियों का यह अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन भारत के लिए एक चुनौती है।