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विद्या भारती की भारतीय मूल्यों पर आधारित गुणात्मक शिक्षा आम जन को प्रदान करने में अतुलनीय भूमिका – धर्मेंद्र प्रधान

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कटक जिले में स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में विद्या भारती और शिक्षा विकास समिति द्वारा आयोजित “प्रदेशिका प्रधानाचार्य सम्मेलन” के समापन समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार सरस्वती शिशु विद्या मंदिरों में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु इस सम्मेलन का आयोजन स्वागत योग्य है।

शिशु मंदिर ओडिशा शिक्षा विभाग की नब्ज के समान है। विद्या भारती एवं शिक्षा विकास समिति द्वारा संचालित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर की भारतीय विधि एवं मूल्यों पर आधारित शिक्षा, गुणात्मक शिक्षा आम जन को प्रदान करने में अतुलनीय भूमिका है। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के छात्र-छात्राएं दसवीं बोर्ड परीक्षा के साथ-साथ विभिन्न व्यवसायों और मेरिट परीक्षा में सफलता प्राप्त कर रहे हैं जो सराहनीय है।

अंग्रेजों ने भारत में जो शिक्षा नीति बनाई, वह भारत को नीचा दिखाने की प्रक्रिया ही थी। उन्होंने भारत के लोगों की मानसिकता को लंबे समय तक परतंत्र रखने के लिए अपने द्वारा एक शिक्षा नीति पेश की थी। इस शिक्षा नीति के विकल्प के रूप में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है। इस शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत विरोधी मानसिकता को बदलना और भारत की स्व आधारित मानसिकता को विकसित करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा सहित सभी भारतीय भाषाओं में पढ़ाने पर बल दिया गया है। मातृभाषा में अध्ययन करने से ही छात्रों का बौद्धिक विकास, आलोचनात्मक सोच और शोध क्षमता बढ़ती है। आने वाले दिनों में सभी भारतीय भाषाओं को पढ़ाया जाएगा। वर्तमान सरकार शिक्षा व्यवस्था को मातृभाषा पर आधारित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

विद्या भारती ने वर्षों से ओडिशा में भारत केंद्रित शिक्षा व्यवस्था खड़ी करने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।

प्रांत सम्मेलन में पूरे ओडिशा प्रांत से 1100 से अधिक प्राचार्य, प्रधानाचार्य सम्मिलित हुए। सम्मेलन में विद्या भारती के अ. भा. अध्यक्ष डॉ. रविंद्र कन्हेरे, अ.भा. संगठन मंत्री गोविंद महंत, क्षेत्र संगठन मंत्री आनंद राव सहित क्षेत्रीय, प्रांतीय अधिकारियों की उपस्थिति रही।

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