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एक साल तक 30 प्रतिशत कम वेतन लेंगे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल

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सांसद निधि दो साल तक स्थगित, जनरल पूल में जमा होगी 7900 करोड़ रुपये की राशि

प्रधानमंत्री, मंत्री व सांसद भी एक साल तक 30 प्रतिशत कम वेतन लेंगे

शिमला. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, अनेक राज्यों के राज्यपाल अगले एक साल तक 30 प्रतिशत कम वेतन लेंगे. इसी प्रकार प्रधानमंत्री, मंत्री, तथा सांसद भी अगले एक साल तक 30 प्रतिशत कम वेतन लेंगे. यही नहीं केंद्र सरकार ने सांसद निधि यानि एमपी लैड को भी अगले दो साल कि लिए स्थगित कर दिया है. कहा गया है कि इस समस्त राशि को कंसोलिडेटिड फंड ऑफ इंडिया यानि जरनल पूल में डाला जाएगा. आज केबिनेट ने उपरोक्त बड़े फैसले लिए. यह कोरोना के खिलाफ जंग में देश के शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और दोनों सदनों के 790 सांसदों का खुले दिल से योगदान होगा.

संसद सदस्य अधिनियम, 1954 के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन का अध्यादेश मंजूर किया गया है जो इसी महीने की शुरुआत से लागू हो गया है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. यह अध्यादेश एक अप्रैल, 2020 से एक साल के लिए अमल में आ रहा है. इस फैसले के तत्काल बाद ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से साल भर तक तीस फीसद कम वेतन लेने की घोषणा की है.

कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को बताया कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हर किसी का योगदान चाहिए. सांसदों के अलावा, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के वेतन का 30 फीसद वेतन कम होगा. सांसदों का मासिक वेतन एक लाख रुपये और संसदीय क्षेत्र का मासिक भत्ता 70 हजार रुपये के अलावा अन्य भत्ते भी होते हैं. सांसदों का वेतन संसद के तय कानून से ही निर्धारित होता है. ऐसे में इनमें कटौती का फैसला भी कानून में बदलाव के जरिये ही होगा. इसलिए अध्यादेश को संसद सत्र में लाया जाएगा.

सांसद अपनी निधि से राशि कोरोना के खिलाफ चल रहे अभियान के लिए दे रहे थे. कहा जा सकता है कि इसी को आगे बढ़ाते हुए केंद्र ने सांसद निधि को दो साल के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है. इसे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने की ओर पहला कदम माना जा सकता है.

केंद्र सरकार के फैसले के पश्चात और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल द्वारा 30 प्रतिशत कम वेतन लेने की स्वेच्छा से की गई घोषणा के बाद राज्यों में मुख्यमंत्री, मंत्रीमंडल, विधायकों पर भी एक अप्रत्यक्ष दबाव रहेगा. देश की एकजुटता दिखाने के लिए यह बड़ा कदम है, जिसमें हर व्यक्ति शामिल है.

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