नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस बात पर खेद जताया है कि एक प्रख्यात अर्थशास्त्री होने के बाद भी डॉ. भीम राव अंबेडकर के सिद्धांतों और शोधों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है तथा यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि देश के विश्वविद्यालयों में उन पर शोध नहीं हो रहे हैं.
सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने बाबा साहब अंबेडकर को ‘‘महान’’ श्रमिक नेता बताते हुए कहा कि त्रिपक्षीय वार्ता के अलावा विभिन्न श्रम कानूनों के कई नियम उनके द्वारा लाये गये थे जो अब भी प्रासंगिक बने हुये हैं. 30 दिसम्बर को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डॉ. अंबेडकर पर केंद्रित छठे स्मारक व्याख्यान में कृष्ण गोपाल जी ने कहा, ‘‘वह प्रख्यात अर्थशास्त्री थे लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के किसी भी विश्वविद्यालय में उन पर कोई अच्छा शोध नहीं हुआ..उनके आर्थिक सिद्धांतों पर भी नहीं.’’ उन्होंने कहा कि कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल आफ इकोनोमोक्सि जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों से पढाई करने वाले और कई महत्वपूर्ण शोध-पत्र पेश करने वाले अंबेडकर के शोधों और पत्रों का उचित तरीके से प्रकाशन भी नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में छोटी जोत और उनका निराकरण अंबेडकर का काफी महत्वपूर्ण शोधपत्र है.. किस प्रकार खेती की जमीन छोटी हो रही है. देश का आर्थिक विकास छोटी जोतों के जरिये संभव नहीं है.. उन्होंने यह 100 साल पहले कहा था… “उन्होंने कहा कि अंबेडकर के जीवन में तीन गुरु बुद्ध, कबीर और महात्मा फुले थे, उन तीनों को समझे बिना अंबेडकर को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता”.
सहसरकार्यवाह ने कहा कि कम्युनिस्टों ने अंबेडकर को श्रमिकों का शत्रु घोषित किया था, लेकिन डॉ. अंबेडकर ने अत्यंत दृढ़तापूर्वक अपने एक भाषण में उनके (कम्युनिस्टों के) बारे में कहा था कि वे ‘दिग्भ्रमित मानव समुदाय हैं’. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि अब कम्युनिस्ट अंबेडकर को वर्ग संघर्ष का प्रभावशाली व्यक्तित्व निरूपित करते हैं, उन्होंने प्रश्न किया “ हम इस पर कैसे विश्वास कर लें” स्वतंत्रता से पूर्व वे पांच वर्ष श्रम मंत्री रहे. इस बारे में आज बड़े श्रमिक संघ भी बहुत कम जानते हैं. उन्होंने कहा कि अंबेडकर पहले व्यक्ति थे जो देश में कई महत्वपूर्ण श्रम कानून लाये. इनमें न्यूनतम वेतन, फैक्टरीज एक्ट, भविष्य निधि, सब्सिडीकृत भोजन, फैक्ट्री के कामगारों को चिकित्सकीय सहायता और महिलाओं के लिये प्रसूति अवकाश शामिल हैं.
अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने जो उस समय कानून मंत्री थे, जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के विचार का विरोध किया था और शेख अब्दुल्ला से कहा था कि यह देखने में सुरक्षित है पर खतरनाक होगा.
कृष्ण गोपाल जी ने कहा “ चीन के प्रति भारत की नीति को लेकर डॉ अंबेडकर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकलापों पर सवाल उठाये थे. उन्होंने कहा था कि नेहरू सपनों की दुनिया में रहते हैं. चीन हमारे दरवाजे पर आ गया है और हम खुद को महफूज नहीं रख सकेंगे. विदेश नीति पर उनके अपने कुछ विचार थे”. उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने भाषा के आधार पर राज्यों के गठन का विरोध किया था. अंबेडकर ने कहा था कि राज्यों का गठन प्रशासन के आधार पर होना चाहिये. उन्होंने हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की भी वकालत की थी.