करंट टॉपिक्स

आदर्श पत्रकारिता के विकास हेतु नारद जयंती के कई आयोजन

Spread the love

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ब्रह्माण्ड के प्रथम पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती के माध्यम से आदर्श पत्रकारिता के विकास का प्रयास कर रहा है. हालांकि संघ का प्रचार विभाग दिल्ली प्रांत स्तर पर गत दस वर्षों से नारद जयंती का आयोजन कर रहा है, लेकिन इस बार नारद जयंती समारोहों का विभाग स्तर पर 11 मई को आयोजन प्रारंभ किया गया. उत्तरी दिल्ली के प्रचार विभाग की ओर से आयोजन रोहिणी के टैक्निया ऑडिटोरियम में और पूर्वी दिल्ली में शंकर विहार के प्राचीन हनुमान मंदिर प्रांगण में सफल आयोजन हुये. इस अवसर पर अनेक पत्रकारों को सम्मानित किया गया, ताकि समाचारों के आदान-प्रदान की उनकी कार्यशैली की विवेचना करके पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान की जा सके.

आज विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ-साथ मीडिया और पत्रकारिता को नागरिक अधिकारों का संरक्षण करने वाला चौथा स्तम्भ माना जाता है. विशेषकर इलेक्ट्रौनिक मीडिया की सक्रियता से यह और अधिक महत्व का विषय बन गया है.

उत्तरी दिल्ली में कार्यक्रम की अध्यक्षता ए-टू-जेड चैनल के निदेशक श्री दीपक गुप्ता ने की और मुख्य वक्ता के रूप में हिन्दी साप्ताहिक पांचजन्य के पूर्व सम्पादक एवं राज्यसभा सांसद श्री तरुण विजय ने अपने विचारों से वर्तमान पत्रकारिता का विश्लेषण किया.

कार्यक्रम में प्रमुख समाज सेविका एवं पंजाब केसरी वरिष्ठ नागरिक क्लब की संचालिका श्रीमती किरण चोपड़ा ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद ही वह महान विभूति थे, जिन्होंने पत्रकारिता को जन्म दिया. कल्याणकारी संदेशों के आदान-प्रदान के द्वारा वे अपने ढंग से समाज का मार्गदर्शन करते थे. हमारी पत्रकारिता सकारात्मक, निर्भीक तथा निष्पक्ष होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि मीडिया इस दिशा में रचनात्मक भूमिका निभा रहा है. पत्रकारिता समाज से कुरीतियां मिटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इसी को सार्थक पत्रकारिता कहा जा सकता है. पंजाब केसरी अपने विभिन्न स्तम्भों के द्वारा सर्वसमाज को जागररूक करता आ रहा है.

इस अवसर पर पंजाब केसरी के पत्रकार श्री हरीश चोपड़ा जी को सम्मानित किया गया. उन्होंने कहा कि नारद जी संवाद करने में पारंगत थे इसलिये लोक मंडल के प्रथम संवाददाता कहलाये. संक्रमण काल में समाज अपना नेतृत्व स्वयं चुन लेता है, ऐसे में मीडिया अपने शब्दों में उसका संवाद प्रसारण करता है.

आजतक के राजेन्द्र स्वामी एवं पत्रकारिता के होनहार विद्यार्थी अरुषि मल्होत्रा, रंजना पुरी, वरिष्ठ छात्रा श्रीमती उषा जैन, सुश्री दीप्ति चौहान, उत्सव शुक्ला, साकेत, मृदुला अरोड़ा, अक्षत चोपड़ा आदि को सम्मानित किया गया.

मुख्य वक्ता श्री तरुण विजय ने कहा कि लाल-बाल-पाल, महर्षि अरविंद, डॉ श्यामाप्रसाद मुकर्जी ही नहीं महात्मा गांधी भी पत्रकार ही थे. जिन्होंने समाज का स्वतन्त्रता संग्राम हेतु मार्गदर्शन किया. लाला जगतनारायण निर्भीक पत्रकार थे, जिन्होंने इसकी संरक्षा हेतु अपना बलिदान दिया. अनेक पत्रकारों को निर्वासन तथा मृत्यु दण्ड तक दिया गया परन्तु वह सत्पथ से विचलित नहीं हुये. इनमें शहीद भगत सिंह तथा गणेश शंकर विद्यार्थी प्रमुख रहे. लिखे बिना सम्प्रेषण नहीं होता इसलिये पत्रकारिता ही स्वतन्त्रता के आंदोलन का आधार बन गई. पत्रकारिता मिशन है, जागरण का मार्ग है. पंजाब केसरी बखूबी इस उत्तर दायित्व को निभा रहा है. संघ के विभाग संघचालक श्री सत्यनारायण बंधु ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

imageपूर्वी दिल्ली के समारोह का शुभारंभ साप्ताहिक पत्रिका आर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर, माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रो. अरूण कुमार भगत और विभाग संघचालक प्राणनाथ अरोड़ा ने दीप प्रज्वलन कर किया.

पत्रकार सम्मान समारोह में सांस्कृतिक पत्रकारिता के लिये कला समीक्षक शशिप्रभा तिवारी को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. अरूण कुमार भगत ने कहा कि हमारे देश में पत्रकारिता का इतिहास कलकत्ता गजट से शुरू होता है. हिक्की के इस पहले अखबार में सामाजिक सरोकारों को स्थान दिया गया था. आज भी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक समस्याओं पर हमारी पत्रकारिता मुख्य रूप से ध्यान केन्द्रित करती है. पत्रकारों को प्रताड़ना भी झेलनी पड़ती है. आपातकाल के दौरान तो कई तरह के परेशानियों और दबावों को सहना पड़ा. लेकिन समय के साथ भारतीय पत्रकारिता और निखरी एवं सबल हुई.

आर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि पत्रकारिता की राह आज भी मुश्किलों से भरी हुई है. पत्रकारों को आज भी सच को प्रमाणित करने के लिये आधार का सहारा लेना नहीं भूलना चाहिये. हमारे देश में पत्रकारिता की लंबी परंपरा रही है. देवर्षि नारद पत्रकारिता परंपरा के ही वाहक थे. जैसे वेद, उपनिषद, पुराणों में मनु का विवरण मिलता है, वैसे ही नारद का वर्णन मिलता है. इसलिये हमारे देश में संवाददाताओं की नारद परंपरा रही है. जिस तरह नारद जी को हर पक्ष की पूरी बात मालूम होती थी. फिर भी वह यह ध्यान रखते थे कि उन्हें किससे, कब और कितनी बात करनी है. केतकर जी ने श्रोताओं की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया.

समारोह का समापन संघचालक प्राणनाथ अरोड़ा के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ. समारोह में प्रांत प्रचार प्रमुख श्री राजीव तुली, सतीश, जगत, कपिलदेव पांडे, संजय कुमार तिवारी, विनोद गोस्वामी, सतीश पेडणेकर व तीरथलाल जी की उपस्थिति उल्लेखनीय थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *