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एशिया व विश्व शांति के लिए भारत का पुनः अखंड होना आवश्यक – विजय जी

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पंजाब अखंड भारत कार्यक्रम
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जालंधर (विसंकें). सर्वहितकारी शिक्षा समिति पंजाब प्रांत के संगठन मंत्री विजय जी नड्डा ने कहा कि भारत से अलग हुए विभिन्न देश न केवल भारत के दुश्मन बने हुए हैं, बल्कि खुद भी अशांत और समस्याग्रस्त हैं और पूरी दुनिया के लिए समस्या बने हुए हैं. एशिया और एशिया के जरिए दुनिया की शांति के लिए भारत का पुन: अखण्ड होना जरूरी है. विजय जी गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में स्थित सर्वहितकारी शिक्षा समिति कार्यालय के प्रांगण में अखण्ड भारत विषय पर आयोजित परिचर्चा के समारोप समारोह में संबोधित कर रहे थे. इस समारोह में पंजाब भर से 120 विद्वानों ने शिरकत की.

‘अखण्ड भारत – क्यों और कैसे?  विषय की प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख रामगोपाल जी ने बताया कि वर्ष 1947 में अगर देश का नेतृत्व थोड़ा धैर्य दिखाता और मुस्लिम लीग की हठधर्मिता के समक्ष आत्मसमर्पण न करता तो भारत का बंटवारा नहीं होना था. लेकिन थके हुए हमारे नेताओं ने सत्ता प्राप्ति की जल्दबाजी में देश के विभाजन को स्वीकार कर लिया. उन्होंने विस्तार से बताया कि किस किस सन में देश का विभाजन हुआ तथा अफगानिस्तान, म्यांमार, तिब्बत, श्रीलंका सहित अनेक हिस्से देश से कटे. विभाजन का कारण हमारी संगठन शक्ति की कमी को बताया. उन्होंने कहा कि अगर बंग भंग आंदोलन चलाकर बंगाल का विभाजन रोका जा सकता था तो देश के अन्य हिस्सों का विभाजन क्यों स्वीकार कर लिया गया.

पंजाब अखंड भारत कार्यक्रम
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परिचर्चा में अपने विचार रखते हुए वरिष्ठ साहित्यकार देसराज जी ने बताया कि विभाजन का सबसे अधिक खमियाजा पंजाब को भुगतना पड़ा. पंजाब का विकसित व उपजाऊ हिस्सा पाकिस्तान में रह गया. लाखों लोगों का कत्ल हुआ और करोड़ों लोगों का विस्थापन. लोगों को अपने जीवन भर की कमाई अपनी आंखों के समक्ष लुटती हुई देखनी पड़ी. हमारे धर्मस्थान वहां छूट गए. एमएल ऐरी डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशनल डीएवी यूनिवर्सिटी ने कहा कि अखण्ड भारत एक विषय न होकर समय की जरूरत भी है.

परिचर्चा का समापन करते हुए विजय जी ने कहा कि किसी भी देश की सीमाएं स्थायी नहीं होतीं, उन्हें विभिन्न तरीकों से बदला जा सकता है. भारत से कटे हिस्सों को पुन: अखण्ड करने के लिए पहले भारत को सर्वांगीण रूप से विकसित राष्ट्र बनना होगा. खण्डित प्रतिमा की कभी पूजा नहीं होती और भारत की प्रतिमा को पूरा करने के लिए हमें भारत को अखण्ड करना ही होगा. इसके लिए जरूरी है, पहले बड़े स्वपन देखने की, यहूदियों ने अपने देश का स्वपन देखा और इसका परिणाम निकला कि 1600 सालों बाद इस्राईल देश अस्तित्व में आया. पूर्वी तथा पश्चिमी जर्मनी का इसलिए एकीकरण संभव हुआ क्योंकि वहां के लोगों ने पुन: एक होने के सपने देखे. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान सहित भारत से अलग हुए अन्य देशों के लोग पुन: एक न होना चाहते हों. आवश्यकता है इस सोच के लोगों को एकजुट कर इस दिशा में आगे बढऩे की.

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