जैविक खेती, रोजगार युक्त ग्राम व स्वस्थ जीवन के आयामों पर काम करेगा किसान संघ
जालंधर (विसंकें). भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी जी ने कहा कि विभिन्न सरकारों द्वारा किसानों के पक्ष में किए जा रहे कामों के दावों के बावजूद देश में भूमिपुत्रों की खराब हो रही है. किसानों की दशा पर चिंता जताते हुए भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार से मांग की कि किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए, जिसमें कृषि से जुड़े हर पहलू पर विचार किया जाए. भारतीय किसान संघ की प्रदेश स्तरीय बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में दिनेश जी ने कहा कि इस विशेष सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी दल शामिल हों. इसमें आरोप-प्रत्यारोपों और उपलब्धियों या असफलताओं के बखान को छोड़ कर किसानों से जुड़े हर मुद्दे पर गहराई से चर्चा हो और इसके बाद देशव्यापी कृषि नीति बने.
उन्होंने कहा कि चिंता का विषय है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ लगभग हर प्रदेश की सरकार अपने आप को न केवल किसान हितैषी कहती है, बल्कि किसानों के कल्याण के कदम उठाने के दावे भी करती है. ये दावे अपनी जगह हैं और सरकारों ने बहुत कुछ किया भी है, परंतु इसके बावजूद किसानों का कल्याण होता नजर नहीं आ रहा. देश के हर हिस्से में कृषि उत्पादन लगभग स्थिर हो गया है और कृषि लागत निरंतर बढ़ रही है. किसान या तो कृषि छोड़ रहा है या फिर मौत को गले लगा रहा है. ऋण माफी व सरकारी सहायता राशि को किसानों की हर समस्या का समाधान मान लिया गया है. परंतु इससे कृषकों को कुछ सीमा तक ही राहत मिलती है. उसकी समस्त समस्याओं का समाधान इसमें नहीं है. असल में देश किसानी को लेकर किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति में पहुंच चुका है, जिससे बाहर निकलने के लिए कृषि नीति व किसानों की हालत पर विस्तार से चर्चा कर देश व कालसुसंगत नीतियां बनानी जरूरी है.
दिनेश जी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पंजाब देश की कृषि भूमि का केवल 2 प्रतिशत हिस्सा है और यहां कीटनाशकों का प्रयोग देश की कुल खपत का 18 प्रतिशत हो रहा है. इसके लिए भारतीय किसान संघ किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरुक कर रहा है. पंजाब में कई जगहों पर इस तरह के जागरुकता शिविर लगाए जा चुके हैं. भारतीय किसान संघ जैविक खेती, रोजगारयुक्त ग्राम व स्वस्थ जीवन आदि तीन मुद्दों को लेकर आगे बढ़ रहा है. संघ का उद्देश्य है कि हमारी कृषि जहर मुक्त व गुणवत्ता युक्त हो. यह तभी संभव है, जब हम प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर हों. समाज के बिगड़ रहे स्वास्थ्य का एक बड़ा कारण कथित आधुनिक खेती है, जिसमें विषाक्त कीटनाशकों व खादों पर अत्यधिक जोर दिया गया है. इसके अतिरिक्त गांवों में ही किसानों को रोजगार उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है, जिससे उसे शहरों की ओर पलायन न करना पड़े.