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गणेश शंकर विद्यार्थी का 127वां जन्मदिवस मनाया

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मेरठ. विश्व संवाद केन्द्र मेरठ एवं स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में अमर शहीद पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी जी के 127वें जन्म दिवस के अवसर पर समारोह का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रदेव पत्रिका के सम्पादक अजय मित्तल जी ने कहा कि विद्यार्थी जी केवल एक पत्रकार ही नहीं, अपितु सजग सामाजिक कार्यकर्ता, राष्ट्रीय आन्दोलन के नेता और आधुनिक पत्रकारिता के जनक थे. जिन्होंने अपनी कलम से अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष किया. जिसके कारण उन्हें पांच बार जेल भी जाना पड़ा. अधिकांश स्वतंत्रता सेनानी उनके सामाचार-पत्र कार्यालय में अक्सर कार्ययोजना तैयार करते थे और कई बार हथियार कार्यालय में छिपाकर रखे जाते थे. एक तरह से विद्यार्थी जी के समाचार-पत्र का कार्यालय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए शरण स्थल हुआ करता था. उन्होंने कई समाचार-पत्रों में उग्र लेख एवं सम्पादकीय लिखे जो राष्ट्रीय आंदोलन को और अधिक बढ़ावा देने में कारगर साबित हुए. गणेश शंकर विद्यार्थी और उनका समाचार-पत्र प्रताप एक मात्र ऐसा समाचार-पत्र था जो कोर्ट द्वारा सेंसर हिस्से को भी शहीदों के हित में प्रकाशित कर दिया करते थे. ऐसे यशस्वी पत्रकार, सजग सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी को शत-शत नमन.

चौ. चरण सिंह विवि के पत्रकारिता विभाग के प्राध्यापक डॉ. प्रशांत कुमार जी ने कहा कि कलम की सार्थकता तभी है, जब वह समाज निर्माण और देश हित के लिए काम करे. इस मौके पर अमरीश पाठक जी ने कहा कि आज का विद्यार्थी यह न सोचे की पत्रकारिता केवल व्यवसाय है. यह ध्यान रहे कि भारत में पत्रकारिता के पुरोधा गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकार रहे हैं. पत्रकारिता विभाग के डीन डॉ. धर्मेंद्र सिंह जी ने कहा कि पत्रकार निष्पक्ष और निडर होना चाहिए. तभी वह सकारात्मक जनमत निर्माण कर सकता है. गणेश शंकर विद्यार्थी हमें समाज जोड़ने और निष्पक्ष पत्रकारिता का संदेश देते हैं.

पत्रकारिता विभाग के उप प्राचार्य डॉ. नीरज कर्ण सिंह जी ने कहा कि हमारे विभाग का नाम गणेश शंकर विद्यार्थी है. जिसका अर्थ केवल उन्हें याद कर लेना ही नहीं, बल्कि उनके सिद्धान्तों और मिशन भाव को आत्मसात कर नए सजग पत्रकारों की पौध निर्माण करना है. कार्यक्रम का संचालन सुरेन्द्र अधाना ने किया.

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