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छुआछूत रूपी वायरस से मन, बुद्धि और शरीर को मुक्त करके सामाजिक समरसता कायम करना बुद्ध पूर्णिमा का सन्देश – इंद्रेश कुमार

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नई दिल्ली. 2564वीं बुद्ध पूर्णिमा की पूर्व संध्या “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में तथागत बुद्ध का सन्देश” विषय पर दिल्ली में विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सेमीनार आयोजित किया गया. सामाजिक समरसता मंच द्वारा आयोजित ‘वेबिनार’ में केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू मुख्य अतिथि, वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे.

इंद्रेश कुमार ने कहा कि भगवान बुद्ध ने सारी दुनिया को मानवता और समानता का संदेश दिया और अहिंसा परमोधर्म का संदेश देकर भारत को पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित किया. कोरोना संकट काल में हमें बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करते हुए देखना चाहिए कि कोई गरीब और वंचित व्यक्ति परेशान न रहे. बुद्ध पूर्णिमा के दिन सभी को अपने घरों में दीपक और अगरबत्ती जला कर बुद्ध को याद करना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि कोरोना संकट से विश्व के सभी लोगों को मुक्ति मिले.

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने डॉ. भीमराव आम्बेडकर के सम्मान में जो कार्य किए हैं, वह हमारी राष्ट्रीय धरोहर है. बाबा साहेब ने बुद्ध के पंचशील के सिद्धांतों पर चलते हुए हमेशा मानवता की सेवा की. बुद्ध जब गया की यात्रा पर जा रहे थे तो उन्होंने सुजाता नाम की दलित महिला के हाथों से बनी खीर खाकर सामाजिक सद्भाव और समरसता का परिचय दिया था. जिसकी आज के वक्त में बहुत जरूरत है. भारत से कोरोना वायरस के साथ हमारे मन, बुद्धि और शरीर से छुआछूत रूपी वायरस भी समाप्त होना चाहिए.

वेबिनार में केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं, उनमें बुद्ध का संदेश निहित है. पहली बार 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा को सरकारी स्तर पर मनाने का आदेश दिया. जिसके बाद संस्कृति मंत्रालय द्वारा बुद्ध जयंती को भव्यता के साथ मनाया जाता है. प्रधानमंत्री ने कई बार यह संदेश दिया है कि भगवान बुद्ध के संदेशों पर चलकर ही भारत विश्वगुरु बनेगा. तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए इस आयोजन के लिए उन्होंने सामाजिक समरसता मंच को बधाई दी.

आम्बेडकर भवन दिल्ली के अध्यक्ष कुमार सेन बौद्ध ने कहा कि तथागत बुद्ध ने भारतवर्ष की धरती से ही सारी दुनिया में मानवता का संदेश दिया था. आज सारी दुनिया जिस तरह कोरोना जैसी महामारी से त्रस्त है. वैसी ही महामारी बुद्ध के वक्त में वैशाली नगर में फैली थी, जहां उन्होंने रतन सुख का उद्घोष करते हुए सभी को मानवता की सेवा का संदेश दिया था. तथागत ने जब तक वैशाली को महामारी से मुक्त नहीं करा दिया, तब तक वह वहीं रहे. बाबा साहेब ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर देश के समक्ष सत्यता, समरसता और प्रेम का संदेश दिया था. उन्होंने कहा कि दिल्ली के अलीपुर में बाबा साहेब का स्मारक, जनपथ पर आम्बेडकर इंटरनेशल सेंटर, मुंबई में चैत्यभूमि, नागपुर में दीक्षा भूमि और लंदन में बाबा साहेब के घर को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने के साथ ही सरकार ने करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया है.

 

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