नई दिल्ली. सुरक्षा वापिस लेने के बाद सरकार ने अलगाववादियों को जेल में भरना शुरू कर दिया है. जिसके चलते बीती रात कश्मीर में अफवाहों का बाज़ार गरम रहा. बीती रात पुलिस ने सबसे पहले जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक को गिरफ़्तार किया. कश्मीर में अफवाह उड़ाई गयी कि अनुच्छेद 35A को अध्यादेश से हटाने की तैयारी चल रही है. उमर अब्दुल्ला ने भी अफवाहों पर एक ट्वीट कर मामला और संवेदनशील कर दिया, हालांकि उमर अबदुल्ला ने ट्वीट तुरंत डिलीट भी कर दिया.
लेकिन इसके बाद पुलिस ने जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को हिरासत में लेना शुरू किया. रात भर नेताओं को उनके घरों से हिरासत में लिया गया. इन नेताओं में अमीर अब्दुल हामिद फ़ैयाज़, जमात प्रवक्ता एडवोकेट जाहिद अली, पूर्व सेक्रेटरी जनरल ग़ुलाम क़ादिर लोन, अनंतनाग जिला चीफ अब्दुर राउफ, पहलगाम से मुदासिर अहमद, डालगाम से अब्दुल सलाम और बख्तावर अहमद, त्राल से मोहम्मद हयात, चडूरा से बिलाल अहमद, चक संग्रन से ग़ुलाम मोहम्मद डार का नाम शामिल है.
ज़्यादातर नेता साउथ कश्मीर से हैं. जहां पर सुरक्षा बलों का विशेष सर्च अभियान जारी है. जमात-ए-इस्लामी कश्मीर का एक बड़ा इस्लामिक संगठन है, जो कश्मीर के ज़्यादातर मदरसों और मस्जिदों का संचालन करता है. जमात के नेता 90 के दशक तक अलगाववाद की राजनीति में खुले तौर पर शामिल रहे हैं. लेकिन उसके बाद जमात ने मस्जिदों और मदरसों के जरिये अलगाववाद की तहरीक चला रहे हैं. कश्मीर में कट्टरपंथ का ज़हर घोलने में सबसे बड़ा हाथ जमात-ए-इस्लामी का ही है.
उधर, केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती के आदेश जारी किए हैं. गृह मंत्रालय की ओर से आदेश जारी हुए हैं. इनमें अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ की 45 कंपनियां, बीएसएफ की 35 तथा आईटीबीपी व एसएसबी की 10-10 कंपनियां शामिल हैं.