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नक्सली पाठशालाओं में पढ़ाया जा रहा जनक्रांति का पाठ

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जगदलपुर: बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के स्कूलों से लगातार वनवासी विद्यार्थी लापता हो रहे हैं. नक्सली हर गांव के प्रत्येक घर से एक युवक या युवती की मांग कर रहे हैं और जनयुद्ध का स्कूल चलाकर वनवासी छात्र-छात्राओं को संगठित कर, विभिन्न विषयों सहित माओवादी विचारधारा का भी पाठ पढ़ा रहे हैं.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बस्तर संभाग के नक्सल इलाकों में लगभग 150 पाठशालायें संचालित हैं, जिनमें जनक्रांति का पाठ समेत हथियारों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. इन अबोध दिलों में जनचेतना नाट्य मंडलियों के जरिये सरकार और व्यवस्था के प्रति जहर घोला जा रहा है.

आदिम जाति कल्याण विभाग के चौंकाने वाले आंकड़ों के अनुसार जहां बस्तर संभाग में पहली कक्षा के विद्यार्थियों की दर्ज संख्या 27143 थी, वह घटकर पांचवीं में 18950, आठवीं में 12553 और दसवीं में 11745 हो गई.

राज्य के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा स्कूल छोड़े गए छात्र-छात्राओं को पुन: प्रवेश दिलाने ‘स्कूल चलो’ अभियान भी चलाया जा रहा है. जब शिक्षक इस अभियान के अंतर्गत गांव में पहुंचते हैं तो छात्र-छात्रायें लापता पाये जाते हैं. शिक्षकों के अनुसार अभिभावकों ने जानकारी दी कि अधिकांश छात्र-छात्राओं को नक्सली लेकर चले जाते है और कुछ नक्सलियों के भय से स्कूल न जाकर अन्य कामों में लग जाते हैं.

कुछ विद्यार्थी तो ऐसे भी हैं जो कलम के दम पर बंदूक को झुकाने की कोशिश में हैं और पढ़ाई कर रहे हैं. नक्सलियों के प्रति इनमें आक्रोश भी है, क्योंकि पुलिस के अनुसार विगत पांच वर्षों में नक्सलियों ने बस्तर संभाग में 385 से अधिक आश्रम स्कूलों को ध्वस्त कर दिया है. दंतेवाड़ा पुलिस ने कुछ माह पहले जगरगुण्डा मार्ग पर अरनपुर घाट में सात नक्सलियों को मार गिराया था, जिनमें कुछ के शव स्कूल यूनिफॉर्म में पाए गये.

पिछले वर्ष नारायणपुर जिले में नारायणपुर-ओरछा मार्ग पर चलने वाली बस में स्कूली पोशाक  में एक नक्सली सवार हुआ और थोड़ी दूर जाकर पुलिस मुखबिर के आरोप में बस में सवार एक व्यक्ति की हत्या कर फरार हो गया. पुलिस द्वारा नक्सली विरोधी अभियान के तहत नक्सली शिविरों में किताबें भी पाई गईं हैं, जिनके अध्ययन से ज्ञात हुआ कि दक्षिण बस्तर के घने जंगलों में नक्सली छोटे बच्चों को क्रांति का पाठ पढ़ा रहे हैं.

अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों द्वारा चलाये जा रहे स्कूलों में वनवासी बच्चों को विज्ञान व गणित जैसे गूढ़ विषयों के साथ-साथ विद्रोह का भी प्राथमिक पाठ पढ़ाया जा रहा है. इसका पता मरईगुड़ा थाना क्षेत्र के जंगल से मिली एक किताब से चला है. कक्षा तीन की उक्त किताब में शरीर विज्ञान, साफ- सफाई, पर्यावरण, भूगोल जैसे पाठ तो हैं ही, साथ ही परलकोट जनता विद्रोह का एक अध्याय भी जोड़ा गया है.

नक्सलियों की दंडकारण्य विद्या विभाग कमेटी की ओर से प्रकाशित एक पुस्तक के पिछले आवरण पृष्ठ पर आज पढ़ें-आज लड़ें, जनता को आगे ले जायें छापा गया है.

शिक्षा के मामले में अति पिछड़े दक्षिण बस्तर के अंदरूनी इलाकों के वनसियों में हिन्दी ज्ञान की कमी यहां शिक्षा प्रगति में बाधक रही है. शिक्षा और साक्षरता को गति देने के लिये गोंडी में पाठ्यक्रम तैयार करने के प्रयास भी किए गये, किंतु इसमें अधिक सफलता नहीं मिली. इधर, नक्सलियों द्वारा प्राथमिक स्तर की शिक्षा की व्यवस्था गोंडी में करने से अब तक अछूते रहे इलाकों में शिक्षा के प्रति रूचि जागी है.

बस्तर आईजी टीजे लांगकुमेर ने बताया कि नक्सलियों की पाठशाला में प्राथमिक स्तर के बाद बच्चों को शस्त्र चालन का गहन प्रशिक्षण भी दिया जाता है. उन्होंने बताया कि पाठशालाओं में पढ़ाने के अलावा इन्हें जनयुध्द के लिये भी तैयार किया जा रहा है.

 

सौजन्य : www.panchjanya.com

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