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नमस्ते सदावत्सले मातृभूमे – संघ प्रार्थना के 75 वर्ष पूर्ण

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RSS-Prarthana-75-yearsनागपुर. संघ प्रार्थना के 75 वर्ष पूर्ण हो गए. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे  75 वर्ष पूर्व संघ शिक्षा वर्ग में गायी गई थी, जिसके पश्चात प्रत्येक शाखा, कार्यक्रम के अंत में प्रार्थना का क्रम निरंतर जारी है.

संघ की वर्तमान में प्रचलित प्रार्थना को पहली बार सार्वजनिक रूप से 18 मई 1940 को नागपुर में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग में गाया गया था, और प्रचारक यादव राव जोशी जी ने पहली बार प्रार्थना गायी थी. इसी दौरान पुणे में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग में प्रचारक अनंतराव काले जी ने भी संघ प्रार्थना गायी थी.

संघ में प्रचलित वर्तमान प्रार्थना संस्कृत  में हैं, केवल अंतिम पंक्ति भारत माता की जय (जयघोष) हिन्दी में है. संघ की नियमित लगने वाली शाखाओं, कार्यक्रमों के अंत में संघ प्रार्थना अनिवार्य है.

संघ की प्रार्थना संघ संस्थापक प.पू. डॉ केशव बलिराम हेडगेवार, प.पू. माधव सदाशिव गोलवलकर (बाद में द्वितीय सरसंघचालक) तथा अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन में संस्कृत के प्राध्यापक नरहरि नारायण भिड़े जी ने लिखी थी. संघ प्रार्थना में ही संघ के कार्यकर्ताओं का उद्देश्य, लक्ष्य, स्वप्न , देश के प्रति कर्तव्य का वर्णन है.

 

नमस्ते सदावत्सले मातृभूमे

त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे

पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम्

त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयं शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्

श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्णमार्गं स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।

समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं परं साधनं नाम वीरव्रतम्

तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्ति र्विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।

परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।

।। भारत माता की जय ।।

 

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