नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री वी. भागय्या ने भारत विकास परिषद को परामर्श दिया है कि वह जीवन मूल्यों के क्षरण के वर्तमान दौर में महिलाओं एवं युवाओं को जोड़ने पर जोर देने के बजाय उनके हितों से संबंधित कार्यकलापों की रचना पर ध्यान दे.
भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की पंजाबी भवन, शालीमार बाग में आयोजित दो दिवसीय बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि परिवर्तन के इस दौर में हमारी सभ्यता एवं संस्कृति भी अछूती नहीं रही है. दिनोंदिन नैतिक एवं मानवीय जीवन मूल्यों का क्षरण हो रहा है. परिवर्तन के इस दौर में भी भारतीयता क्या है, इस पर गंभीरता से विचार कर इसे अक्षुण्ण एवं समृद्ध बनाने का प्रयास करना होगा.
परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सीताराम पारीक ने कहा कि सेवा कार्यों का प्रभाव तो तत्काल परिलक्षित होता है, जबकि संस्कार कार्य आम का पेड़ लगाने के समान है, जिसका मीठा फल हमें लम्बे समय बाद मिलता है. अतः हमें देश के नौनिहालों में संस्कार के बीज रोपने का सतत प्रयास करते रहना होगा. राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री एस.के. वधवा ने कहा कि हमें संस्कार कार्यक्रमों को तो प्राथमिकता देनी ही होगी, साथ ही सेवाकार्यों पर भी विशेष ध्यान देना होगा. राष्ट्रीय संयोजक (मीडिया) श्री राजकुमार जैन ने कहा कि कोशिश होनी चाहिये कि संस्कार कार्यों की तरह सेवा कार्य भी ऐसे हों जो लम्बे समय तक के लिये लाभकारी हों. कार्यक्रम का कुशल संचालन कार्यवाहक महामंत्री श्री अजय दत्ता ने किया.