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पत्रकारिता का प्रथम और अंतिम उद्देश्य राष्ट्रहित ही हो – डॉ. शमिंदर जी

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20160515_183816तरनतारन (पंजाब). ऑल इंडिया रेडियो के निदेशक डॉ. शमिंदर शर्मा जी ने कहा कि पत्रकारिता का प्रथम और अंतिम उद्देश्य केवल राष्ट्रहित ही होना चाहिए. हम भारतीयों की राष्ट्रवाद की व्याख्या ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की परंपरा पर आधारित है, न कि शेष विश्व से टकराव के सिद्धांत पर. वह स्थानीय केवल कृष्ण अग्रवाल सर्वहितकारी स्कूल में विश्व संवाद केंद्र की ओर से नारद जयंती को समर्पित ‘पत्रकारिता कल, आज और कल’ विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे.

समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. शमिंदर शर्मा जी ने कहा कि यह दु:खद आश्चर्य है कि आज कुछ मीडिया हाउस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रहितों की अनदेखी की सीमा तक छू रहे हैं. दुख जताया कि आज कुछ मीडिया हाउसों में संपादक नीतियां पत्रकारिता के सिद्धांतों और राष्ट्रहित को ध्यान में रख कर नहीं, बल्कि कुछ संपादकों की सनक पर तैयार होती हैं. ये लोग अपने पूर्वाग्रहों के आधार पर घटनाओं से जुड़े तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं और अपनी राजनीतिक रुचि दर्शकों व पाठकों पर थोपने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पूरा भारतीय मीडिया तंत्र ही इस व्याधि का शिकार है. मीडिया का बहुत बड़ा वर्ग राष्ट्रहितों के प्रति पूरी तरह सजग व कर्तव्यनिष्ठ है. खुशी की बात है कि वर्तमान में मीडिया में सकारात्मकता के गुण का भी समावेश हो रहा है. अच्छे समाचार, लोगों के रचनात्मक कार्य, ग्रामीण, वनांचल, दूरस्थ इलाकों से जुड़े समाचार भी समचारपत्रों के साथ-साथ इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में दिखाई देने लगे हैं.

20160515_174021उन्होंने कहा कि पत्रकार को समाज का सहयोगी होना चाहिए. उसे ध्यान में रखना होगा कि लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका की भांति खबरपालिका का अंतिम उद्देश्य समाज कल्याण ही है. पत्रकारिता समाज, उसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए है. यह समाजसेवा का साधन है, समाज पर शासन का नहीं. कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार स. तेजवंत सिंह चब्बा ने कहा कि पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य या कार्य सूचनाओं का सम्प्रेषण है, इसमें राजनीति, व्यापार, समर्थन या विरोध का समावेश अवांछनीय है. समाचारों के कारोबार में केवल तथ्य, पूर्ण तथ्य और पुष्ट तथ्य ही समाविष्ट होने चाहिए. अपनी बनावटी कार्यकुशलता को सिद्ध करने के लिए अधपके समाचार देना समाजद्रोह है. सत्यं वद ही पत्रकारिता का मर्म है. ऐसे समाचार या विचार जो समाज में नफरत, बैर भाव और निराशा फैला सकते हों, उनका सम्प्रेषण नहीं होना चाहिए. अतः समाज का हित और विकास ही पत्रकारिता का धर्म है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ममता निकेतन स्कूल के प्रबंध निदेशक स. सविंदर सिंह पन्नू ने कहा कि पत्रकारिता के समक्ष तमाम तरह की चुनौतियों के बावजूद भारतीय पत्रकारिता का भविष्य उज्ज्वल है. इस क्षेत्र में आ रहे युवा वर्ग ने पत्रकारिता को नई दिशा व पहचान दी है. समाज में अन्य क्षेत्रों की तरह पत्रकारिता में आए पविर्तन को भी सहर्ष स्वीकार करना चाहिए, परंतु परिवर्तन का अर्थ यह नहीं है कि किसी क्षेत्र के शाश्वत सिद्धांतों से छेड़छाड़ की जाए.

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