रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि पत्रकारिता राष्ट्रीयता व मूल्यों के आधार पर होनी चाहिए. पत्रकारों की भूमिका सार्थक दिशा में हो. चुनौतियां बहुत हैं, पर उन्हीं चुनौतियों में से रास्ते भी निकलते हैं. वर्तमान पत्रकार देवर्षि नारद की परंपरा को आगे बढ़ाएं. रामदत्त जी शनिवार को विश्व संवाद केंद्र झारखंड की ओर से पलाश चिड़ियाघऱ प्राधिकरण के सभागार में आयोजित आदि पत्रकार देवर्षि नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में मेदिनीनगर के वरिष्ठ पत्रकार वासुदेव तिवारी जी को देवर्षि नारद सम्मान से नवाजा गया. उन्हें श्रीफल, 11 हजार रुपये, स्मृति चिन्ह, व शॉल देकर सम्मानित किया गया.
रामदत्त जी ने कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता सनसनी पैदा करने वाला उपकरण बन गया है. पत्रकारिता का राजनीतिकरण हुआ है. घटना, दुष्कर्म आदि को प्रमुखता दी जाती है. पत्रकारिता नकारात्मक छवि प्रस्तुत करती दिखती है. यह उचित नहीं है. सनसनी पैदा करने से समाज व देश का लाभ नहीं होता है. इस मानसिकता से उबरना होगा और विचार कर अध्यात्म, संस्कृति व मिट्टी का स्थान कैसे बढ़े, इस पर सोचकर लिखना होगा. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एक प्रकार का धर्म है. पत्रकारों को पत्रकर्मी से पत्रधर्मी की ओर बढ़ना होगा. अच्छा पत्रकार वही होता है, जो मूल्यों के आधार पर चलता है. पत्रकारिता समाज के प्रबोधन का बड़ा माध्यम बन गया है. समाज के प्रबोधन की जिम्मेदारी पत्रकारों पर है. लोग अखबार पढ़कर चीजों को समझते हैं. सामाजिक सरोकारों के प्रयासों को सामने लाना चाहिए. नकारात्मक छवि को प्रस्तुत नहीं कर सामाजिक बातों को सामने लाना होगा. नारद राष्ट्र के प्रतीक हैं. वे पत्रकारिता के क्षेत्र में एक मानदंड हैं. वे लोक मंगल के देवता हैं. उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद में समाज हित, राष्ट्रहित व लोकमंगल दिखता है. वर्तमान पत्रकार चिंतन – मनन करेंगे तो नारद में आदर्श दिखाई देगा.
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा जी ने कहा कि शास्त्र और धर्म ग्रंथों में जिस सूचना तकनीक को दिखाया गया है, वह देवर्षि नारद की देन है. नारद की भूमिका को रचनात्मक दृष्टि से देखने और समझने की जरूरत है. पत्रकारिता बाजार का नहीं, बल्कि समाज का प्रोडक्ट होना चाहिए. सूचना तकनीक में प्रत्येक राष्ट्र में तुलना होती है.
वरिष्ठ पत्रकार बलवीर दत्त जी ने कहा कि आजादी के समय 1300 पत्र-पत्रिकाएं छपते थे. वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर एक लाख से अधिक हो गई है. पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथे स्तंभ से पहला स्तंभ बन गया है. देवर्षि नारद को पता रहता था कि समाज में क्या हो रहा है. मीडिया के प्रति जागृति बढ़ाने की आवश्यकता है.
विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष रामअवतार जी ने कहा कि केंद्र सामाजिक जागरण व उत्थान का कार्य कर रहा है. जो व्यक्ति समाचार का संकलन, संपादन व प्रेषण करता है, वह पत्रकार है. देवर्षि नारद भी एक पत्रकार थे. वर्तमान पीढ़ी देवर्षि नारद के आयामों और उद्देश्यों को देखकर पत्रकारिता करे तो पत्रकारिता पर छाया संकट समाप्त हो सकता है.
कास्टिज्म, प्रोफेशनलिज्म से इंसानियत को खतरा – वासुदेव तिवारी जी
देवर्षि नारद सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार वासुदेव तिवारी जी ने कहा कि मानवता व इंसानियत को वाद से खतरा है. वाद कभी सुसंवाद नहीं पैदा करता. कास्टिज्म और प्रोफेशनलिज्म से इंसानियत को खतरा है. भारत व इंसानियत को वाद नहीं सुसंवाद चाहिए. राष्ट्रीय जीवन से संरचना व ढांचा तैयार हो रहा है. पत्रकार अपने को कसौटी पर कसे. भारत की प्रकृति व संस्कृति के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, उसे कलम के माध्यम से उठाने की आवश्यकता है.