कोलकत्ता. देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक चिंतित हैं और लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की बात भी हो रही है. लेकिन दूसरी तरफ मुस्लिम समाज लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर इस खतरे को बढ़ावा दे रहा है. मस्जिदों में एक साथ नमाज पढ़ने की खबरें कई राज्यों से आ चुकी है. इसी क्रम में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से एक और ऐसी ही घटना सामने आई है. जहां नमाज के लिए कई मुस्लिम एकजुट हुए.
पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद अल्पसंख्यक बहुल जिला है. यहां के गोपीपुर इलाके की एक मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में जुटे. जब पुलिस को इसकी जानकारी हुई तो तुरंत वहां पहुंच कर देखा कि कई मुसलमान मस्जिद से बाहर निकल रहे हैं. पुलिस ने मौलाना को बुलाया और समझाते हुए आग्रह किया कि घऱों में ही नमाज पढ़े तो ज्यादा अच्छा है. इसके अलावा प्रशासन की तरफ से लॉकडाउन के उल्लंघन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
मुर्शिदाबाद की मस्जिद में एक साथ मुसलमान लॉकडाउन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इन पर प्रशासन की तरफ से कार्रवाई नहीं की जा रही है. क्या पश्चिम बंगाल सरकार कोरोना संक्रमण के खतरे को लेकर गंभीर नहीं है? या कार्रवाई करने से वोट बैंक खिसकने की चिंता अधिक है? क्या कोई इस प्रकार किसी की जान के साथ खिलवाड़ कर सकता है?
मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान मक्का-मदीना है. कोरोना के संकट काल में मक्का-मदीना तक बंद है, लेकिन भारत में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग ये मानने को तैयार नहीं हैं कि कोरोना से उन्हें कोई खतरा है.