सीआईडी जांच में सामने आया राजनीतिक संबंध
मुंबई (विसंकें). पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में जांच कर रही सीआईडी ने 12 मई को सीपीएम के तीन सक्रिय कार्यकर्ताओं राजेश राव, विनोद राव और रामदास राव को गिरफ्तार किया है. इनके साथ ही 12 अन्य लोगों को भी सीआईडी ने गिरफ्तार किया है. अब तक इस मामले में कुल १४६ लोगों को हिरासत मे लिया जा चुका है. इनमें से १० आरोपी नाबालिग हैं, जिन्हें भिवंडी बाल सुधार गृह में भेजा गया है.
पालघर में साधुओं की हत्या गलतफहमी के कारण होने के दावों को सीआईडी की जांच में सामने आ रहे तथ्यों ने झुठला दिया है. इस हत्याकांड में राजनीतिक संबंध नहीं होने के दावे को भी सीआईडी की जांच के तथ्य खारिज कर रहे हैं. १६ अप्रैल को पालघर के गढ़चिंचले गांव में भीड़ द्वारा महंत कल्पवृक्ष गिरी जी तथा महंत सुशिल गिरी जी और उनके वाहन चालक निलेश तेलगडे की भीड़ ने बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी थी. १९ अप्रैल को वायरल हुए वीडियो में राष्ट्रवादी कांग्रेस का कार्यकर्ता जानक्या बोरसा सफेद शर्ट पहने नजर आ रहा है, जब कि हरी शर्ट में विष्णु सोमा भावर दिखाई दे रहा है जो माकपा कार्यकता और पूर्व ग्राम पंचायत सदस्य है.
पालघर साधु हत्याकांड का राजनैतिक लिंक अब धीरे-धीरे खुलकर दिखाई देने लगा है. इसी बीच मामले से जुड़े एक सहयोगी अधिवक्ता दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई है. इसे लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं और सीबीआई जांच की मांग तेज होने लगी है.
पालघर क्षेत्र में सेवा कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं पर पहले भी जानलेवा हमले हो चुके हैं. एक तरफ वामपंथियों का क्षेत्र में गहरा प्रभाव है तो वही इनकी संगत में धर्म परिवर्तन के लिए व्याकुल इसाई मिशनरियों का धर्मांतरण का कार्य भी फल-फूल रहा है. जनजातीय समुदाय के विकास और उत्थान में लगी राष्ट्रीय विचार की संस्थाओं के प्रकल्पों पर निरंतर आघात करते रहना भी इसी कुटिल गठजोड़ का एक कार्य है.