शिव पंचकरन
धर्मशाला
कोरोना महामारी से लड़ते डाक्टरों और पुलिस कर्मियों पर हुए पथराव से गुस्साई कंगना रानौत की बहन रंगोली चंदेल ने एक ट्वीट किया था, जिस कारण रंगोली चंदेल का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है. अकाउंट सस्पेंड होने के बाद से रंगोली चंदेल ट्विटर इंडिया ट्रेंड्स में चौथे नम्बर पर ट्रेंड कर रहा था. रंगोली द्वारा इस कार्यवाही को एकतरफा बताया गया. उन्होंने कहा ये सोशल प्लेटफार्म अमेरिकी है और वे हमारे साथ भेदभाव करते हैं. यहां देवी देवताओं, प्रधानमंत्री का मजाक बनाया जा सकता है, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों पर हो रहे हमले पर अगर आप कुछ कहते हैं तो ये कदम उठाया जाता है.
इस सारे विवाद में कंगना रणोत का भी रिएक्शन सामने आया है. उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए बताया की ‘उनकी बहन ने बस इतना कहा था कि जो भी शख्स डॉक्टर या पुलिसकर्मियों पर हमला करता है उसे गोली मार देनी चाहिए. लेकिन फराह अली खान ने दावा किया कि रंगोली ने मुस्लिमों के नरसंहार की बात कही है. अगर ऐसा कोई भी ट्वीट मिलता है तो मैं और मेरी बहन माफ़ी मांगने को तैयार हैं. हम कभी नहीं मानते कि हर मुस्लिम डॉक्टरों पर हमला करता है’. कंगना ने ट्विटर पर भी सवाल उठाये हैं. उनके मुताबिक इस प्लेटफार्म पर आतंकवादी को आतंकवादी भी नहीं कहा जा सकता है. उनकी मांग है कि देश को खुद का एक नया प्लेटफार्म तैयार करना चाहिए. कंगना ने बबिता फोगाट का भी समर्थन किया, जो तबलीगी जमात पर किये अपने ट्वीट के कारण चर्चा में हैं. उन्होंने सरकार से बबिता को सुरक्षा मुहैया करवाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि जो भी देश में राष्ट्रहित की बात करता है, उसका ऐसे ही शोषण किया जाता है.
सच कहने की सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि बहुत सारे लोग उसे हज़म नहीं कर पाते. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब किसी एक गलत व्यक्ति को गलत कहने से उसे पूरे समुदाय विशेष से जोड़ कर देखा जा रहा हो. जिस प्रकार कोई आतंकवादी इस्लाम नहीं समझता, उसी प्रकार जमाती भी असली इस्लाम को नहीं जानते. फिर भी बार-बार जमातियों के विरोध को कुछ मुस्लिम नेताओं द्वारा ना जाने क्यों इस्लाम का विरोध समझा व प्रचारित किया जा रहा है.
इसके विपरीत जब एक्टिविस्ट अरुंधती रॉय विदेशी मीडिया के अपने हाल ही के एक साक्षत्कार में कहती हैं कि ‘कोरोना का इस्तेमाल हिन्दू मुस्लिमों को भड़काने के लिए हो रहा है. भारत में हालात मुस्लिमों के जनसंहार की और बढ़ रहे हैं’. तब शायद देश की अखंडता बढ़ाने के लिए वह इस प्रकार के बयानों को नज़रंदाज़ कर देते हैं. तबलीगी जमात द्वारा कोरोना महासंकट में बरती गई लापरवाही से सारा देश गुस्से में है. तबलीगी के समर्थक लोगों द्वारा मूल विषय से ध्यान भटकाने के लिए इसे हिन्दू मुस्लिम का रंग देने और एक पूरे समुदाय को भड़काने की साजिश कर रहे हैं. इसीलिए शायद तबलीगी जमात पर बोलना कुछ लोगों को इस्लाम पर बोलना दिखाई दे रहा है.
इसे सारे विवाद में सबसे मजे की बात यह देखने को मिली कि फेक न्यूज़ फैलाने के महारथी द वायर की पत्रकार आरफा खानम भी तंज़ कसने के लिए मैदान पर उतर आई. उन्होंने लिखा – किस किस को लगता है जहरीले ट्विटर हैंडल से रंगोली नहीं खुद कंगना रानौत ट्वीट करती हैं. जैसे ही उनका ये ट्वीट वायरल हुआ, आरफा ट्रोल होना शुरू हो गईं. एक यूजर ने लिखा “इसका मतलब आपका ट्विटर अकाउंट हाफिज सैयद चलाता है”. एक अन्य यूजर ने लिखा ‘मुझे लगता है मसूद अज़हर आपके अकाउंट से ट्वीट कर रहा होगा”.
ये कोई पहला मामला नहीं है, जब किसी सोशल साईट ने किसी मुद्दे पर दोहरा रवैया अपनाया हो. इससे पहले भी ट्विटर, फेसबुक ऐसी हरकतें कर चुकें है. कुछ दिन पहले भी खुद को कॉमेडियन कहने वाले मुन्नवर फारुकी द्वारा भगवान राम और गोधरा हत्याकांड का मजाक बनाया गया था, परन्तु इस प्रकार की हरकतें शायद सेकुलरिज्म को बढ़ावा देती है, इसीलिए इन पर ट्विटर, कुछ गुफ्तगूँ नहीं कर पाते.
आपको याद होगा सीएए के मुद्दे पर स्वरा भास्कर, कुनाल कामरा जैसे लोगों ने नफरत फ़ैलाने का हर संभव प्रयत्न किया था, यहाँ तक कि अरेस्ट स्वरा भास्कर तक ट्रेंड हुआ था. लेकिन ट्विटर द्वारा न कोई टिप्पणी हुई, न कोई अकाउंट बंद.
इसी ट्विटर पर कई लोगों द्वारा प्रधानमंत्री को कोरोना होने तक की दुआएं दी गई, लेकिन ट्विटर को न तो उसमें कोई नफरत दिखती है और न ही कोई समस्या. इस तरह की हरकतें देख कर लगता है कि ट्विटर को असली दिक्कत है तो गलत को गलत कहने से, आतंकवादी को आतंकवादी कहने से.