नई दिल्ली (इंविसंकें). संगठन के हित की दृष्टि से पुराने और भावनात्मक रिश्तों की चिंता ना करते हुए भी दृढ़ निश्चय के साथ निर्णय लेना राष्ट्र सेविका समिति की तृतीय प्रमुख संचालिका उषा ताई चाटी के व्यक्तित्व की विशेषता थी. समिति की वर्तमान प्रमुख संचालिका मा. वी शांता कुमारी जी ने ऊषा ताई को समर्पित एक स्मारिका के विमोचन समारोह में दिल्ली में कहा कि आज (15 मई) विश्व कुटुंब दिवस के अवसर पर उष चेतना स्मारिका का विमोचन ऊषा ताई को सच्ची श्रद्धांजलि है. ऊषा ताई एक गृहणी, एक शिक्षिका और एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं, लेकिन अपने सभी कर्तव्यों को कुशलता के साथ निभाती थीं और उनका सबसे बड़ा गुण था मनुष्यत्व.
ऊषा ताई चाटी के व्यक्तिव, कृतत्व और नेतृत्व के गुणों पर दिल्ली में आयोजित विमोचन समारोह में विस्तार से चर्चा हुई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक कार्यक्रम के विशिष्ट अथिति डॉ. बजरंगलाल गुप्त ने कहा कि स्मारिका प्रकाशित करने का उद्देश्य होता है महान व्यक्तियों का स्मरण. यह स्मारिका भी ऊषा ताई के सक्रिय व्यक्तित्व का स्मरण आने वाली पीढ़ियों को कराएगी. राष्ट्र सेविका समिति की विशेषता है परिवर्तन और सततता और ऊषा ताई गंगा के प्रवाह की तरह निरंतर प्रवाहित रहती थी और बहुमुखी, बहुआयामी प्रतिभा की धनी थीं. समारोह की मुख्य अतिथि पंजाब केसरी समूह की निदेशक किरण चोपड़ा जी ने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाओं का कोई मुकाबला नहीं है. वे सच्ची भारतीय महिलाएं हैं जो भारत को विश्व गुरु बना सकती हैं तथा समाज और देश को दिशा व दशा दोनों दे सकती हैं. ऊषा ताई चाटी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ताई ने दूसरों के लिए जीने का पाठ सेविकाओं को पढ़ाया.
राष्ट्र सेविका समिति दुनिया का सबसे बड़ा महिला संगठन है जो परिवार को आधार मानकर श्रेष्ठ राष्ट्र की अवधारणा पर काम कर रहा है. संगठन की स्थापना लक्ष्मी बाई केलकर जी ने सन् 1936 में महाराष्ट्र के वर्धा में की थी. स्वर्गीय ऊषा ताई चाटी राष्ट्र सेविका समिती की तीसरी प्रमुख संचालिका थीं (8 मार्च 1994 से जुलाई 2006). ऊषा ताई सौम्य, सरल, वात्सल्य और ममता के गुणों से भरपूर थीं, लेकिन संगठन के हित में कठिन और सही निर्णय लेने से कभी कतराती नहीं थीं.