राजस्थान के लोकगायक उस्ताद अनवर खां मांगणियार ने लोक कला को देश-विदेश में पहुंचाया. करीब 55 देशों में अनवर खां अपनी लोक कला दिखाकर देश के लिए मिसाल बन चुके हैं. इसी उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने अनवर खां को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया है.
भारत सहित लगभग 55 देशों में अनवर खां अपनी गायकी का परचम लहरा चुके हैं. साथ ही कई हिन्दी फिल्मों में भी अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं. अनवर खां सूफी गायक भी हैं. जब वो सूफी शैली में लोकगीत गाते हैं तो श्रोता झूम उठते हैं. अनवर खां फिल्मी दुनिया में जाने के खिलाफ हैं वे कहते हैं कि फिल्मी दुनिया में चले गए तो लोक गीत संगीत की परंपरा को जिंदा कौन रखेगा.
जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बहिया में लोक गायक रोजड़ खां के घर में जन्मे अनवर खां के दादा भी लोक गायक थे. इसलिए लोकगीत संगीत उन्हें विरासत में मिला. अनवर खां लोकगीत के साधक हैं. चान्दण मुल्तान, सदीक खान जैसे उस्तादों से अनवर खां ने लोकगीत की बारीकियां सीखीं.
वे मारवाड़ी, राजस्थानी, हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, सिन्धी भाषाओं में लोक संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना चाहते हैं. संगीतकार ए.आर. रहमान के साथ भी अनवर गीत गा चुके हैं. अनवर खां राजस्थानी तथा सूफी गायिकी की मिसाल हैं.