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शास्त्री जी के गुण और विचार आज भी विद्यमान हैं – सरसंघचालक मोहन भागवत जी

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Udabodhan Pujay sirsanghchalak jiवाराणसी (विसंके काशी). ‘भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री’ पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत जी के कर कमलों द्वारा राधाकृष्ण वाटिका रामनगर में सम्पन्न हुआ. बाबुल श्रीवास्तव एवं उनके साथियों ने शास्त्री गान प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया.

उन्होंने कहा कि आज संयोग है कि अंग्रेजी तिथि के अनुसार संघ के द्वितीय सरसंघचालक प.पू. श्रीगुरूजी की जयंती है. भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री का जीवन उच्च कोटि का था. वे आध्यात्मिक कर्मयोगी थे. उन्होंने अपने स्वत्व के आधार पर देश की परिस्थिति को बदल दिया. उनके आह्वान पर बहुत से लोग आज भी सोमवार को व्रत रखते हैं. यह शास्त्री जी के प्रति लोगों की श्रद्धा है. शास्त्री जी के वचनों के पीछे उनकी तपस्या है. महात्माओं का लक्षण उनके जीवन में दिखता है. मुझे कैसा होना चाहिए? इस होने की परम्परा ने देश को बनाया. असली मायने में जननेता केवल पदारूढ़ नही होते.

DSCN1015उन्होंने कहा कि शास्त्री जी जैसे दिखते थे, वैसे ही उनका जीवन था. उदाहरण स्वरूप जैसे सूर्य उगते समय लाल दिखता है और अस्ताचल होते समय भी लाल दिखता है. शास्त्री जी का जीवन भी ऐसा ही था. उनका कार्यकाल केवल 18 महिनों का था. इस कम समय में भी उन्होंने पूरे देश में नव चेतना का संचार किया. शास्त्री जी को जब-जब याद करते हैं तो बातें ध्यान में आती है कि यदि शास्त्री जी तासकन्द से सही सलामत आ गये होते तो देश का इतिहास दूसरा होता. उन्होंने पाकिस्तान जैसे आक्रान्ता को सबक सिखाया.

उन्होंने कहा कि शास्त्री जी कम से कम में आवश्यकता पूर्ण होने तथा राष्ट्र कल्याण सम्पूर्ण जीवन में विश्वास कर बाकि समाज को देने में विश्वास करते थे. आज स्थिति बदल गयी है. उन्होंने कहा कि पहले मेरा मानना था कि प्रसिद्धि दूर से अच्छी लगती है, क्योंकि जब आप उसके निकट जायेंगे तो कमियां देख आप का इसके बारे में धारणा बदल जायेगी. लेकिन जब मैं शास्त्री जी के घर आया और उनके जीवन को देखा तो मेरी धारणा बदल गयी. शास्त्री जी के सादगी जीवन के उच्च मान दण्ड मनसा बाचा कर्मणा को विस्तार से दार्शनिक व्याख्या करते हुए कहा कि मुझे कैसा होना चाहिये, यह करके राजनेताओ को शास्त्री जी ने दिखाया. उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत पाक युद्ध शास्त्री जी के आदर्श DSC00086और सादगी और उनके शब्द के पीछे पूरा देश खड़ा था. आज युवाओं को उनके विचार आदर्श बताने के लिये हमें आगे आना होगा. आज देश के पास साधन है, सारी दुनिया में गुणवत्ता है. लेकिन आचरण जीवन दर्शन की कमी है.
आज शास्त्री जी का पार्थिव शरीर नहीं है, लेकिन गुण और विचार विद्यमान है. उनकी कीर्ति बढ़ायी जा सकती है. शास्त्री जी का जीवन अनुकरण योग्य है.

लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री ने कहा कि प.पू. सरसंघचालक जी ने पिता जी के पैतृक आवास को देखा. घर में पाकर मैं गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं. पूज्यनीय पिता जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को इस घर में दिखाया जायेगा. मुझे पूरा विश्वास है कि पूज्यनीय सरसंघचालक जी के आने से अन्तर्राष्ट्रीय स्मारक बनेगा. उन्होंने कहा कि पिता जी (लाल बहादुर शास्त्री) सदैव संघ के प्रति आदर भाव रखते थे.

मुख्य अतिथि एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत पुस्तक लेखिका डॉ. नीरजा माधव ने किया. कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया. इसके बाद वैदिक मंगलाचरण पाणिनी संस्कृत कन्या महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया. बाबुल श्रीवास्तव एवं उनके साथियों ने शास्त्री गान प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया.

Deep Prajwalanकार्यक्रम में प्रमुख रूप से क्षेत्र प्रचारक शिवनाराण जी, प्रान्त प्रचारक अभय जी, सहित हजारों गणमान्य जन उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. बेनी माधव एवं धन्यवाद ज्ञापन भारतीय जन जागरण समिति के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने किया.

 

 

 

 

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