नई दिल्ली. कोरोना महामारी से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन घोषित है. ऐसे में सैकड़ों मजदूर लॉकडाउन में फंसे हैं, जिन्हें क्वारेंटाइन सेंटरों में रखा गया है. लखीमपुर के क्वारेंटाइन सेंटर से सकारात्मक समाचार सामने आया है. सेंटर में रह रहे मजदूरों ने सेंटर की काया ही पलट दी.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के इंडो नेपाल सीमा पर स्थित लक्ष्मीपुर के रमपुरवा राजकीय मध्यामिक विद्यालय बगहा में क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है. इस क्वारेंटाइन सेंटर में 52 मजदूरों को 14 दिनों के लिए रखा गया है. मजदूरों ने क्वारेंटाइन सेंटर में खाली बैठकर समय बिताने के स्थान पर कुछ काम करने का सोचा. तभी सभी मजदूरों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए स्कूल में साफ-सफाई की. इतना ही नहीं दीवारों पर पुताई व पेंट करके स्कूल को कायापलट कर दिया. इसके बाद स्कूल के बाहर मैदान में वृक्षारोपण का कार्य भी किया.
मजदूरों के इस काम को स्थानीय निवासियों और शिक्षकों ने काफी सराहा. जिला प्रशासन ने भी प्रशंसा की. जिले के डीएम कुंदन कुमार ने भी इन मजदूरों के काम को अपने सोशल मीडिया वॉल पर साझा किया. कहा कि ये मजदूरों की मेहनत का ही फल है कि पुराना स्कूल अब फिर से खूबसूरत और हरा-भरा हो गया है.
कुछ दिन पहले ऐसी ही खबर उत्तराखंड के नैनीताल जिले से भी आई थी. यहां एक गांव के लोगों ने लॉकडाउन के खाली समय का सदुपयोग करते हुए पहाड़ खोद कर सड़क बनाई थी. यह सड़क करीब तीन किलोमीटर लंबी है.
महाराष्ट्र में लॉकडाउन का सदुपयोग करके दंपत्ति ने घर के बाहर खोदा कुआं
किसी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए शारीरिक बल से ज्यादा आत्मबल और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है. महाराष्ट्र के वाशिम जिले के रहने वाले गजानन व उनकी पत्नी पुष्पा ने लॉकडाउन के खाली समय का उपयोग करते कुआं खोदने का संकल्प किया. और निरंतर प्रयास करने के बाद सफलता मिली.
महाराष्ट्र के वाशिम जिले के कर्खेदा गांव के रहने वाले गजानन पकमोड और उनकी पत्नी पुष्पा ने 21 दिन के लॉकडाउन के खाली समय का सदुपयोग करते हुए अपने घर के बाहर जमीन खोदना शुरू किया. लगातार जमीन की खुदाई करने बाद उन्हें 21वें दिन सफलता मिली.
उन्होंने खुदाई के काम में किसी भी तरह के तकनीकी उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया और हाथ के औजारों के प्रयोग से ही कुआं खोद डाला. गजानन ने बताया कि अपने घर के सामने पूजा करने के बाद जब कुआं खोदने का काम शुरू किया, तो पड़ोसी उनकी आलोचना करते थे. लेकिन लोगों की आलोचनाओं पर ध्यान नहीं दिया. गजानन ने बताया कि खुदाई का अनुभव था और पत्नी पुष्पा ने इस काम ने मदद की इसके साथ ही दोनों बच्चे लगातार उत्साह बढ़ाते रहे.
दंपती ने बताया कि गांव में गर्मी शुरू होते ही हमेशा से पेयजल की समस्या रहती है और सरकारी जल सेवा भी ज्यादातर बंद रहती है. पानी के लिए लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ता है. लॉकडाउन में जब जिला प्रशासन ने भी घर में ही रहने के लिए कहा. तो देखा कि गांव में पानी की समस्या है और हमारे पास भी खाली समय है. तो क्यों न पानी की परेशानी दूर करने के लिए कुआं खोदा जाए.