भोपाल (विसंकें). विद्या भारती के राष्ट्रीय मंत्री अवनीश भटनागर जी ने कहा कि शिक्षा एवं शिक्षक एक दूसरे के पर्याय हैं. जीवन मूल्य शिक्षक से जुड़ी जीवन दृष्टि है. शिक्षा का उद्देश्य मूलतः उसके द्वारा प्राप्त होने वाला विविध विषयों का ज्ञान और इससे विकसित होने वाले बालक की अंतर्निहित शक्तियाँ, परिवार, समाज और राष्ट्रहित संरक्षण एवं बुराई के निवारण में उपयोगी सिद्धि हैं. जीवन मूल्यों के विकास की दृष्टि प्रारंभ से ही संस्कार रूप में विकसित करना शिक्षा का मूल उद्देश्य है. इससे ही श्रेष्ठ नागरिक का सृजन संभव है, जो एक सुसंस्कृत एवं सभ्य समाज का मूलभूत घटक है. यह कार्य यदि कोई कर सकता है तो वह सावित्री बाई फुले जैसे शिक्षक ही कर सकते हैं.
अवनीश जी विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्वत परिषद के तत्वाधान में शिक्षक समाज और जीवन मूल्य विषय पर सावित्री बाई ज्योतिबा फुले की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक दिवसीय व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. व्याख्यान माला का आयोजन मॉडल स्कूल सभागृह, तात्या टोपे नगर भोपाल में किया गया था.
उन्होंने कहा कि आज जो भी हमारे समाज में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं, वह ऐसे ही शिक्षकों के पुरुषार्थ का परिणाम हैं. सावित्री बाई फुले ने समरसता का विचार समाज में फैलाया. अंग्रेजों ने भी इस कार्य हेतु फुले दम्पत्ति को सम्मानित किया था. अपने जीवन काल में शिक्षा का कार्य 18 विद्यालय तक ले जाना दुर्लभ कार्य था. शिक्षा को माध्यम बनाते हुए प्रतिकूल समय में समाज जागरण का कार्य नारी द्वारा करना बड़ा कार्य था. अपमान झेलकर भी कार्य करते रहना महानतम कार्य था.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रमोद वर्मा जी ने कहा कि आज इसकी आवश्यकता है कि हम सरल तरह से जीवन मूल्य शिक्षा के माध्यम से बच्चों को सिखाएं. गुरु के अंदर जो जीवन मूल्य हैं, वही आगे उसके विद्यार्थियों में स्थान्तरित होता है. श्री राम का जीवन इसका उदात्त उदाहरण है.
कार्यक्रम में अन्य मंचासीन अतिथियों में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. रविन्द्र कान्हेरे (कुलपति, भोज मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल), विद्याभारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गोविंद शर्मा शामिल थे.