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सिद्धांत के साथ जाना योग का प्रायोगिक पहलू

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देहरादून (विसंके). देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रतिभागियों को योग की विभिन्न विधाओं की प्रयोगात्मक जानकारी दी गई. देर शाम भारतीय संस्कृति और धर्म पर आधारित एक वृत्त चित्र ‘द हिंदू नेक्टर’ भी दिखाया गया.

दो अक्टूबर से शुरू हुये चौथे अंतरराष्ट्रीय योग, संस्कृति और अध्यात्म महोत्सव के चौथे दिन देश-विदेश से भाग लेने आये लोगों को योग की विभिन्न प्रयोगात्मक विधियों के बारे में जानकारी दी गई. कार्यक्रम में सबसे पहले सभी प्रतिभागियों को योग क्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई और अभ्यास कराया गया. इसके बाद पंचकर्म के बारे में डॉ. अलका मिश्रा, प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में डॉ.सरस्वती, एक्यूप्रेशर के बारे में डॉ.अमृत और प्राणिक हीलिंग के बारे में डॉ. ऊषा ने सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक जानकारी दी.

पॉलीक्लिनिक प्रभारी डॉ. कामख्या कुमार ने बताया कि प्रतिभागियों ने प्रयोगात्मक कक्षाओं में काफी दिलचस्पी दिखाई. सायंकाल सभी प्रतिभागियों को साहसिक पर्यटन के प्रति जागरूक करने के लिये ऑउटडोर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. देर शाम मृत्यंजय सभागार में हिंदू धर्म पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई. उत्तराखंड मूल की आकांक्षा द्वारा बनाई गई इस डॉक्यूमेंट्री की लोगों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की.

इस अवसर पर देवंसस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, कुलसचिव संदीप कुमार सहित सभी प्रतिभागी व विवि के कर्मचारी और छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे. इससे पूर्व शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में जर्मनी से आये प्रसिद्ध व्यवसायी ने सफलता पाने के लिये विज्ञान और अध्यात्म दोनों को जरूरी बताया. उन्होंने कहा दुर्भाग्यवश पूरी दुनिया भौतिकवाद के पीछे भाग रही है और उसे अपने अंदर झांकने का अवसर ही नहीं मिल रहा है. केवल भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में ही वह शक्ति है जो भौतिकवाद के इस झंझावात से मुक्ति दिला सकती है. पुर्तगाल से आये स्वामी अमृत सूर्यानंद सहित कई वक्ताओं ने भी विचार व्यक्त किये.

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