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सीकर – कर्मशील मजदूर, समाज के लिए प्रेरणास्रोत

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सीकर. सीकर के पलसाना गांव में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रखे गए श्रमिकों ने उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है. पलसाना गांव की यह घटना देश के अन्य केंद्रों के लिए भी रोल मॉडल है.

राजस्थान के सीकर में हरियाणा, मध्यप्रदेश, बिहार व उत्तर प्रदेश के 54 श्रमिक रुके हुए हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पलसाना कस्बे के एक सरकारी विद्यालय शहीद सीताराम कुमावत और सेठ केएल ताम्बी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में ठहराया था.

सरपंच रूपसिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बीच गांव के स्कूल में क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया था. यहां ग्रामीणों ने अपनी और से ही इन श्रमिकों के खानपान की व्यवस्था की, गांववासियों की सेवा से खुश होकर स्वाभिमानी श्रमिकों के मन में इस आतिथ्य के बदले कुछ करने का भाव जागा. श्रमिकों ने बताया कि क्वारेंटाइन के दौरान सरपंच और गांव के दानदाताओं ने उनके रहने के लिए बहुत ही बढ़िया व्यवस्था की थी. व्यवस्था से इतना खुश थे कि बदले में गांव के लिए कुछ करना चाहते थे..

यहां ठहरे हुए श्रमिकों में से हरियाणा के शंकरसिंह, ओमप्रकाश और रवि ने सुझाव दिया कि हम सफेदी करने का काम करते हैं. अगर रंग उपलब्ध करवा दें, तो हम स्कूल को पेंट कर सकते हैं. इस पर सरपंच रूप सिंह ने प्रशासन से अनुमति ली और दुकान खुलवाकर सरपंच और विद्यालय कर्मियों ने श्रमिकों को रंगाई-पुताई की सामग्री उपलब्ध करवाई. उसके बाद श्रमिकों ने पिछले 9 साल से बिना पुताई व पेंटिंग के बदहाल पड़े विद्यालय भवन को चमका दिया, न केवल स्थानीय प्रशासन उनके कार्य की प्रशंसा कर रहा है, बल्कि देशभर में सेवा कार्य की बहुत प्रशंसा हो रही है.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव जगत सिंह पंवार ने जब इस सरकारी विद्यालय का कायाकल्प देखा तो श्रमिकों की कर्मठता और दिलेरी की प्रशंसा करते हुए पूरे देश के लिए एक प्रेरक सेवाकार्य बताया. सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा हो रही है.

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के एसीएस रोहित कुमार सिंह ने श्रमिकों की तारीफ की है. विजयवर्गीय ने ट्वीट करते हुए कहा कि “कर्मशील मजदूर! राजस्थान के सीकर जिले के पलसाना कस्बे में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ मजदूरों को क्वारेंटाइन किया गया था. बैठकर मुफ्त में खाना इन्हें अच्छा नहीं लगा तो इन कर्मशील मजदूरों ने प्राथमिक भवन की सारी इमारत की रंगाई-पुताई मुफ्त में कर डाली.”

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि संस्कार अपने-अपने! ऐसे कर्मठ लोग हमारे समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं. यह कार्य अन्य केंद्रों के लिए ‘रोल मॉडल’ बन गया है.

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