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स्मृति को नहीं, कृति को महत्व देने की जरूरत : अभय कुमार जी

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केशव बाल पुस्तकालय में सम्मान समारोह का शुभारंभ करते अतिथि
केशव बाल पुस्तकालय में सम्मान समारोह का शुभारंभ करते अतिथि

वाराणसी (विसंके). केशव बाल पुस्तकालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली सामान्य एवं संस्कृति-ज्ञान प्रतियोगिता का प्रतिभा सम्मान एवं पुरस्कार वितरण समारोह निवेदिता शिक्षा सदन के भाउराव देवरस सभागार में संपन्न हुआ. समारोह में 84 प्रतिभाओं को सम्मान फलक पहनाकर तथा शिल्ड एवं पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया.कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक अभय कुमार जी ने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्रायें बधाई के पात्र हैं. जिन्होंने प्रतियोगिता में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया. इन्हीं युवाओं पर भारत का भविष्य निर्भर है. उन्होंने कहा कि आज संस्कारित शिक्षा के लिये परिवार, शिक्षण संस्थान एवं समाज जिम्मेदार है. व्यक्ति निर्माण भगवान् करता है, लेकिन हम चरित्र निर्माण अवश्य कर सकते हैं. आज छोटे-छोटे बच्चों के सामने आदर्श खड़ा करने की जरूरत है. प्राचीन शिक्षण संस्थानों में गुरू-शिष्य की परम्परा थी, जो आज नष्ट हो गयी है. वर्तमान शिक्षण संस्थानों में स्मृति को महत्व दिया जा रहा है. शिक्षा आचरण में उतर जाय उसे कृति कहा जाता है. हमारे यहां कृति को महत्व देने की परम्परा थी. इसीलिये भगवान राम एवं कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. अपनी मातृभाषा का परिचय देना गौरव की बात है. संस्कृति ही व्यक्ति को दुनिया में मजबूती के साथ खड़ा करती है. अपने पैमाने पर भारत को खड़ा करना होगा. दुनिया भारत की ओर आशाभरी दृष्टि से देख रही है. आज भारतीय मूल्यों के आधार पर जीवन खड़ा करने की जरूरत है.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. पृथ्वीश नाग ने अपने उद्बोधन में सभी पुरस्कृत प्रतिभागियों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करते हुये कहा कि मैं अनेक पुस्तकालयों से जुड़ा रहा हूँ. पुस्तक पढ़ने से प्रेरणा मिलती है. केशव बाल पुस्तकालय का उद्देश्य भारतीय संस्कृति का ज्ञान कराना है. नाग जी ने केशव बाल पुस्तकालय को राष्ट्रीय सांस्कृतिक एटलस नामक दो पुस्तकें देने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में भारत की सांस्कृतिक विरासत के बारे में अधिक से अधिक जानकारी है.

केशव बाल पुस्तकालय द्वारा सम्मािनत होनहार विद्यार्थी
केशव बाल पुस्तकालय द्वारा सम्मािनत होनहार विद्यार्थी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वाराणसी के संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रदीप कुमार ने कहा कि चरित्र निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण की शिक्षा सरस्वती शिशु मन्दिर एवं विद्या मन्दिर द्वारा दी जा रही है. केशव बाल पुस्तकालय हमारी भावी पीढ़ी को पुस्तकों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का ज्ञान करवा रहा है. पुस्तकों के माध्यम से दायित्व बोध कराने की जरूरत है. किसी व्यक्ति की विराटता का आंकलन करने के लिये संवेदनशीलता को देखना चाहिये. गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेने की जरूरत है. हमारे यहां वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण एवं महाभारत ज्ञान के भण्डार रहे हैं. इन ग्रन्थों में भारतीय जीवन मूल्य हैं. आज स्वामी विवेकानन्द जैसे महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है.

पुस्तकालय के अध्यक्ष एवं सनातन धर्म इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य डॉ. हरेन्द्र राय ने केशव बाल पुस्तकालय, प्रतियोगिता के बारे में जानकारी दी. कहा कि केशव बाल पुस्तकालय की स्थापना छोटे-छोटे बच्चों को भारतीय संस्कृति से जुड़ी पुस्तकों की जानकारी देना तथा आने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करना है. उन्होंने बताया कि परीक्षा में कुल 122 विद्यालय के 10,400 प्रतिभागियों ने भाग लिया था. जिसमें कुल 84 प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया. प्रथम से तृतीय स्थान के प्रतिभागियों को सम्मान फलक पहनाकर तथा शिल्ड एवं पुस्तक देकर सम्मानित किया गया, चतुर्थ एवं पंचम स्थान प्राप्त करने वाले सभी वर्ग के प्रतिभागियों को सान्त्वना पुरस्कार के रूप में शिल्ड एवं पुस्तक प्रदान की गयी.

इस अवसर पर प्रतियोगिता को सफल बनाने में अपनी सहभागिता देने हेतु देवी प्रसाद शुक्ल, डॉ. मुक्ता पाण्डेय, डॉ. आरती यादव, ज्ञानशंकर सिंह, सिद्धार्थ सिंह, रामकिशन जी एवं डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी को मुख्य अतिथि ने प्रशस्ति पत्र देकर एवं अंग वस्त्रम् पहनाकर सम्मानित किया. कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालय के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन निवेदिता शिक्षा सदन की प्रधानाचार्या डॉ. आनन्द प्रभा ने किया.

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