आगरा (विसंकें). समरसता संगम में भाग लेने के लिये आगरा पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी 22 फरवरी (वीरवार) को बीचपुरी के आरबीएस कॉलेज परिसर में ब्रज प्रांत के संघचालकों की बैठक में उपस्थित हुए. उन्होंने कहा कि संघ समाज के बीच में रहकर कार्य करता है और वास्तव में संघ का कार्य समाज का ही कार्य है. हमारी नियति भी ऐसी ही है. समाज में हमारा क्या योगदान होगा, यह हमें निश्चित करना है. समाज में रहकर हमें केवल समाज का ही कार्य करना है और सामाजिक कार्यकर्ताओं से हमें आत्मीय सम्बंध स्थापित करने हैं. श्रेष्ठ लोग समाज में जैसा आचरण करते हैं, वैसा ही सभी को आचरण करना है. संघ में हम सभी को अपने आचरण से श्रेष्ठता का उदाहरण रखना है. हमें संघ के कार्य में लगे रहना है और उसके लिए अधिक समय निकालना है. संघ कार्य में लगे सभी व्यक्तियों को अपने प्रवास के दौरान भेदभाव के शिकार व्यक्तियों के यहां अवश्य ही जाना है, ऐसा प्रयास करना है.
सरसंघचालक जी ने संघ की कार्यपद्धिति में संघचालकों के महत्व को इंगित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार जी ने सन् 1929 में सर्वप्रथम संघचालक के दायित्व का निर्माण किया. प्रचारक इत्यादि दायित्वों का निर्माण बाद में हुआ. संघकार्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसमें संघचालकों की विशेष भूमिका रहती है.