सात्विक भाव से कार्यरत वनवासी कल्याण आश्रम को मेरी शुभकामनाएं – डॉ. हर्षवर्धन
नई दिल्ली (इंविसंकें). शाह ऑडिटोरियम में रविवार को वनवासी क्षेत्रों से आए वनवासी कलाकारों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये. अवसर था – वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली का वार्षिक उत्सव. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन तथा वनवासी कल्याण आश्रम के उत्तर क्षेत्र महामंत्री भगवान सहाय जी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे.
भगवान सहाय जी ने कहा कि कार्य करते समय हम मानवीय भाव से सेवा, सामाजिक कर्तव्यबोध और राष्ट्रभावना का जागरण करें. ईसाई बहुल उत्तर-पूर्वांचल में चल रहे अपने कार्य के परिणाम स्वरूप आज अपना समाज कह रहा है – भारत मेरा है और मैं भारत का हूँ. वनवासी समुदाय की हिन्दू धर्म के अभिन्न अंग के रूप में पहचान रही है, जिसे अंग्रेजों के षडयंत्र के तहत हमसे भुलवा दिया गया. भारत की आठ देशों से लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 35 प्रतिशत हिस्से पर जनजातीय समाज राष्ट्र के सजग प्रहरी के नाते अपनी भूमिका निभाता है. अतः हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन अभावग्रस्त क्षेत्रों को राष्ट्रविरोधी तत्वों के षड्यंत्रों से बचाएं. किसी भी देश को सुखमय और सम्मानपूर्वक जीवन जीना है तो सम्पूर्ण समाज एक रहे, एकरस रहे, तू मैं एक रक्त का भाव लेकर वनवासी कल्याण आश्रम शहरों, नगरों में काम करता है. वनवासी कल्याण आश्रम एक राष्ट्रीय साधना है, एक यज्ञ है. इसको पूर्ण करने के लिए उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे संकल्प करें कि किसी भी परिस्थिति में, कितने भी अभाव में, कितने भी परिश्रम के बावजूद राष्ट्र को एक रखने के लिए यहां देशभक्ति का भाव निर्मित करके रहेंगे. धर्मांतरण और विघटनकारी नक्सली गतिविधियों के बारे में वनबंधुओं को जागरूक करेंगे.
केंद्रीय विज्ञान व तकनीक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन जी ने कहा कि सात्विक भाव से कार्यरत वनवासी कल्याण आश्रम को मेरी शुभकामनाएं. तू मैं एक रक्त, भारत मेरा है और मैं भारत का, यही भाव हम सबका होना चाहिए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत संघचालक कुलभूषण आहूजा जी ने कहा कि समाज के अग्रणी लोगों के सहयोग से ही समाज गतिशील बनता है, इस समय 10 करोड़ की जनसंख्या वनवासी क्षेत्रों में वास करती है, जिसमें से 80 प्रतिशत लोग शिक्षा से वंचित हैं. ऐसे निर्बल समाज को सबल में मिलाने का काम वनवासी कल्याण आश्रम कर रहा है.
दिल्ली में अध्ययन कर रहे उत्तर-पूर्वांचल के छात्र एवं वनवासी कल्याण आश्रम छात्रावास में रह रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मणिपुर के बैम्बो नृत्य तथा उत्तराखंड की नंदा देवी राजजात यात्रा की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया. शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत अनिल बंसल जी, सामाजिक कार्यकर्ता पूर्णिमा बंसल जी सहित अन्य महानुभावों ने वनवासी कल्याण आश्रम को आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की. नरेला की वनवासी समिति में कार्यरत भारती जी, अनुराधा जी, दिनेश जी ने कार्यक्रम का सफल सञ्चालन किया.
कार्यक्रम में जी.एन.आई.ओ.टी. ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन के वाइस चेयरमैन राजेश कुमार गुप्ता जी, समाज सेविका पूर्णिमा बंसल जी, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी जी सहित समाज के प्रतिष्ठित और गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
वनवासियों के सर्वांगीण विकास हेतु श्री बालासहब देशपांडे ने लगभग 66 साल पहले वनवासी कल्याण आश्रम की नींव रखी थी. दिल्ली में वनवासी कल्याण आश्रम का कार्य 1978 में आरंभ हुआ. अभी यहां उत्तर पूर्व के विद्यार्थियों के दो छात्रावास चल रहे हैं. इन छात्रावासों में रहकर उत्तर पूर्व के वनवासी क्षेत्रों से आए छात्र निःशुल्क आवासीय शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
देशभर में वनवासी कल्याण आश्रम 65,800 से ज्यादा वनवासी ग्रामों से संपर्क में रहकर 20 हजार से ज्यादा सेवा प्रकल्प वनवासी बंधुओं के समग्र विकास के लिए चला रहा है. कुल 231 छात्रावास चल रहे हैं और 4510 शिक्षा प्रकल्प, इसके अलावा 3965 आरोग्य केंद्र स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं तथा 3105 आर्थिक विकास केंद्र इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास में मदद कर रहे हैं. अभी तक 10 लाख से ज्यादा वनवासी बंधु वनवासी कल्याण आश्रम के प्रकल्पों से लाभान्वित हो चुके हैं.