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अंतिम व्यक्ति तक समरसता की अनुभूति के लिए सम्मिलित प्रयास जरूरी – डॉ. मोहन भागवत

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DSC_0094हरिद्वार (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा कि समाज यदि एकमत होकर चलेगा तो इससे सामाजिक एकता को बल मिलेगा. सबको मंदिर में प्रवेश, पानी का सामूहिक स्रोत, अंतिम संस्कार के लिए समान श्मसान स्थल की व्यवस्था होनी चाहिए. ग्राम विकास के बिना देश का विकास नहीं हो सकता. ग्राम विकास के लिए गौ संवर्धन अनिवार्य है. गांवों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी योजना बनाकर कार्य करने का समय है.

वे हरिद्वार के भूपतवाला स्थित निष्काम सेवा ट्रस्ट में आयोजित पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की तीन दिवसीय बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सामाजिक मजबूती की पहली शर्त सामाजिक समरसता है. हमें इसको मजबूत करने की आवश्यकता है. समाज के अंतिम व्यक्ति तक समरसता की अनुभूति हो, इसके लिए सम्मिलित प्रयास की जरूरत है. जहां भी हमारी समरसता की कड़ी कमजोर होगी, वहीं समाज को तोड़ने वाली शक्तियां प्रभावी हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि सामाजिक सद्भावना बढ़ाने के लिए सामाजिक धार्मिक संगठनों को आपसी संवाद बढ़ाना होगा और मिलजुल कर कार्य करना होगा. उन्होंने कहा कि हमारा विचार तो एकात्मता का है, लेकिन यह हमारे आचरण में भी उतरना चाहिए, तभी इसकी सार्थकता प्रामाणिक होगी. परिवार प्रबोधन के विषय में कहा कि परिवार व्यवस्था में क्षरण और पारिवारिक मूल्यों में आ रही गिरावट के चलते हिंदू समाज में कमजोरी आ रही है. इससे बचने के लिए हमें इस व्यवस्था की मजबूती के लिए लगना होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए सप्ताह में कम से कम एक दिन सामूहिक भोजन और भजन पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए. बच्चों को अपनी संस्कृति का ज्ञान और गौरव बताएंगे तो वह कभी भटकेंगे नहीं और देश के अच्छे नागरिक बनेंगे. अपने उत्सवों का उपयोग समाज व परिवार प्रबोधन के लिए करें.

DSC_0096सरसंघचालक जी ने गौ संवर्धन को देश के विकास का मार्ग बताते हुए कहा कि गौ संवर्धन से देश संवर्धन होगा. आज गौ आधारित खेती समाज के ध्यान में आ रही है. भारतीय नस्ल की गाय के औषधीय गुणों के परिणाम सब अनुभव कर रहे है. इसलिए गौ संवर्धन के कार्य की गति बढ़ा कर नए-नए प्रयोगों के आधार पर कार्य विस्तार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देव संस्कृति ही हिन्दू संस्कृति है. जब देव संस्कृति प्रभावी थी, तब विश्व में कोई युद्ध नहीं थे. पर्यावरण भी शुद्ध था. हमने अपनी संस्कृति को छोड़ा इसलिए समस्याएं बढ़ी. हमारी संस्कृति मानवता की भलाई के लिए काम करती है. इसमें कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि मतान्तरण के कारण देश में ऐसे राष्ट्र विरोधी तत्व खड़े हो गए जो देश को हानि पहुंचा रहे हैं. उन्होंने आह्वान किया कि देश की एकता के लिए सभी मत, पंथ, संप्रदाय एकजुट होकर चले तभी भारत सुरक्षित रहेगा. उन्होंने कहा कि संघ व्यक्ति निर्माण में लगा है. व्यक्ति निर्माण और उसके माध्यम से समाज निर्माण करना ही लक्ष्य होना चाहिए. समाज निर्माण से हम व्यवस्था निर्माण की ओर बढ़ते है. जब व्यक्ति का व्यक्तित्व मजबूत होगा तो व्यवस्था परिवर्तन स्वतः होता है. हमें समाज निर्माण पर ध्यान देना है. तीन दिन तक चलने वाली बैठक में संघ की विविध क्षेत्रों में चल रही गतिविधियों की समीक्षा होगी.

 

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