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महाराष्ट्र के अकालग्रस्त क्षेत्रों में सहायता के लिए जुटे संघ के स्वयंसेवक

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मुम्बई (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राज्य की अकालग्रस्त परिस्थिति को गंभीरता से लेते हुए सतत अकालग्रस्त क्षेत्र में अकाल के कारणों और उसके निवारण के उपायों पर विचार करने के लिए विशेष बैठक 03 दिसंबर को आयोजित की थी. बैठक में कोंकण, उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र में पानी के उपलब्ध स्रोत और सतत कम हो रहे भूजल स्तर पर चर्चा की. महाराष्ट्र में इस वर्ष 50 प्रतिशत कम बरसात होने से राज्य के अनेक स्थानों पर परिस्थिति गंभीर बनी हुई है. मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र, विदर्भ में फसलों को नुकसान हुआ है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति के माध्यम से 12 जिलों के 167 गांवों में लोक सहभागिता से अकाल के निवारण के लिए विविध पद्धति से सहायता की जा रही है. संभाजी नगर (औरंगाबाद), जालना जिलों में अधिक अकाल से प्रभावित गांवों का सर्वेक्षण करके प्रकल्प रिपोर्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ अभियंताओं का समूह सक्रिय हुआ है. इन परियोजनाओं को तैयार करने के लिए उद्योग समूह से आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए विविध स्वयंसेवी संगठनों की सहायता ली जाएगी. भविष्य में अकाल की तीव्रता को ध्यान में रखकर 180 दिवस में विविध 70 छावनियों में पशु खाद्य की आपूर्ति की जाएगी. पीने के पानी की कमी को देखते हुए पानी के बचाव व संवर्धन के उपाय को लेकर जनजागृति के कार्यक्रम 500 गांवों में शुरु किए जाएंगे. विविध सभा, प्रदर्शनी, समाचार पत्रों में प्रकाशन, द्वारसभा, चित्रपट, प्रशिक्षण कार्यक्रम से पानी के अपव्यय को रोकने और संवर्धन के विषय में जन जागृति की जाएगी. अकालग्रस्त क्षेत्रों के जो विद्यार्थी शहरों में पढ़ते हैं, उनके लिए अगले 6 महीने तक के लिए भोजन की व्यवस्था की जाएगी.

इसके पहले अकाल की गंभीर परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए जन कल्याण समिति ने समाज के सहयोग से 05 बड़े जल संवर्धन प्रकल्पों को 2013 में पूरा किया है. इससे 100 से अधिक गांवों के कुओं में पानी का स्तर बढ़ा है और अकालग्रस्त परिस्थिति में खेती के लिए आवश्यक जलपूर्ति करना संभव हुआ है. इससे स्वयंसेवकों  के उत्साह व आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (महाराष्ट्र राज्य) जल संवर्धन के काम को करने वाली अन्य संस्थाओं के सहयोग से महाराष्ट्र के अकालग्रस्त क्षेत्रों में बांध बनाने, जल का नक्शा तैयार करने, नदियों के पाटों के चौड़ीकरण, गहराई बनाने के लिए प्रयास करना आदि, इसी प्रकार राज्य के 12 जिलों में 07 करोड़ खर्च करके विविध प्रकल्पों का नियोजन किया गया है. बैठक में संघ के पश्चिम क्षेत्र (गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा) के प्रचारक डॉ. रवींद्र जोशी, सह क्षेत्र प्रचारक विजय पुराणिक, सेवा प्रमुख डॉ. उपेंद्र कुलकर्णी उपस्थित थे.

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