नई दिल्ली. जब देशभर में भारतीय स्वातंत्र्य समर के महायोद्धा अमर बलिदानी वीर विनायक दामोदर सावरकर की जयंती मनाई जा रही है. इसी शुभ अवसर पर कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने राजधानी बेंगलूरू के येलाहांका में स्थित एक नवनिर्मित फ्लाईओवर का नामकरण स्वतंत्रता सेनानी एवं हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के नाम पर करने का निश्चय किया था. बेशक कर्नाटक राज्य के लिए अलग झंडे की वकालत और टीपू की जयंती मनाने के लिए आकुल व्याकुल रही कांग्रेस पार्टी व कुछ महीने पहले ही राज्य की सत्ता से वंचित उसकी गठबन्धन सहयोगी जेडीएस को यह नागवार गुजर रहा है. दोनों विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के इस कदम का विरोध किया है और इसे राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया है.
लगभग 34 करोड़ रुपये की लागत से तैयार चार सौ मीटर लंबे इस फ्लाईओवर का उद्घाटन 28 मई को मुख्यमंत्री बीएस येदुयरप्पा ने करना था, किन्तु बढ़ते कोरोना मामलों और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन की सख्ती के चलते राज्य सरकार को लोकार्पण कार्यक्रम आगे बढ़ाना पड़ा है. कर्नाटक सरकार ने स्पष्ट किया कि फ्लाईओवर का लोकार्पण समारोह कोरोना के कारण आगे बढ़ाया गया है, विपक्ष की घटिया सोच सरकार के इरादे को नहीं बदल सकती. पूर्व सीएम व कांग्रेस नेता सीद्धारमैया ने मुख्यमंत्री येदिुयरप्पा से फ्लाईओवर का नामकरण राज्य के किसी स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर करने का आग्रह किया..जेडीएस नेता व पूर्व सीएम एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि यह निर्णय उन लोगों का अपमान है, जिन्होंने राज्य की समृद्धि के लिए संघर्ष किया और ऐसा करना सरकार का अधिकार नहीं है.
असल में येलाहांका में फ्लाईओवर का नामकरण वीर सावरकर के नाम पर करने का निर्णय 29 फरवरी को वृहद बेंगलुरु महानगर पालिका परिषद की बैठक में किया गया था.
येलाहांका के विधायक एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव एस.आर. विश्वनाथ ने कहा कि वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर फ्लाईओवर का नामकरण करने में कुछ भी गलत नहीं है. जिन्हें न केवल कालेपानी की सजा हुई थी, बल्कि देश के लिए अंडमान में कालापानी की सजा झेलने के साथ अंग्रेजों की यातनाएं भी झेलीं. विधायक विश्वनाथ ने कहा कि बीबीएमपी परिषद ने नियमों के अनुसार कानूनी रूप से इसे मंजूरी दी है और सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और उसके बाद ही नामकरण की योजना बनाई गई है. यह देश का दुर्भाग्य रहा कि कांग्रेस ने वास्तविक इतिहास को विकृत कर देश की छवि और इतिहास पुरुषों को विकृत करने का योजनाबद्ध प्रयास किया. लगातार सत्ता को कब्जाए रखकर अपने दल और विशेषकर संचालक नेताओं और परिवारों की गाथा लिखने की शर्त पर इतिहास लेखन और शिक्षा नीति का सारा ठेका वामपंथियों को दे दिया. आज सत्ता से बाहर होने पर कांग्रेस व सारा विपक्ष केवल राज्यों में ही नहीं देशभर में एकजुट होकर नकारात्मक विमर्श व दुष्प्रचार को हवा दे रहे हैं. इसी प्रकार घृणा व द्वेष की आग लगाई जा रही है.