शिमला (विसंकें). कुल्लू के बंजार में एक चर्च की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में आ गयी है. एनआईए ने आईएसआईएस के एक आतंकी को पकड़ा है जो लंबे समय से यहां पर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था. बंजार के चर्च में पनाह लेने पर विश्व हिन्दू परिषद् ने अपना आक्रोश प्रकट किया. घटना की जानकारी मिलने के पश्चात विहिप के कार्यकर्ताओं ने चर्च के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया. विहिप के कार्यकर्ताओं का कहना था कि चर्च में ऐसे लोगों को पनाह देना एक साजिश है, ये देश-प्रदेश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है. धरने प्रदर्शन के कारण एनएच में वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित हुई.
एनआईए द्वारा हिरासत में लिया गया एजेंट चर्च का पॉल बताया जा रहा है, और चर्च का संचालन एक स्थानीय व्यक्ति के हाथ में था. सोलन जिले से संबंधित 20 वर्षीय एक अन्य युवक भी यहां पर प्रचार का काम देख रहा था. इस आतंकी की गिरफतारी ने चर्च की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिये हैं, वहीं लोगों में इस घटना के बाद आक्रोश और भय का माहौल है. लोगों का कहना है कि इन लोगों द्वारा विशेष वर्ग के लोगों को निशाना बनाकर उन पर धर्मांतरण का दबाव भी बनाया जा रहा था.
आरोपी आबिद खान (बंजार में रहने के लिए अपनाया फर्जी नाम पॉल सी निओ) ने पूछताछ में बताया कि वह इंडोनेशिया जाने वाला था और उसके बाद सीरिया जाना था. वह छह भाषाएं जानता है तथा हिब्रू भाषा सीखने के लिए इज़रायल जाने की योजना बना रहा था. पुलिस ने उसके पास से पहचान पत्र (असली नाम से), लैपटॉप, मोबाइल, कुछ अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं, पुलिस साथ रहने वाले पादरी से भी पूछताछ कर रही है. जनवरी में बंगलौर में संदिग्धों के पकड़े जाने के बाद से ही आबिद एनआईए के राडार पर था.
विहिप के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र ठाकुर और स्थानीय जिला परिषद् सदस्य सुरेंद्र शौरी ने लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे संदिग्धों की पहचान करना बेहद आवश्यक हो गया है. इसके साथ ही जो भी प्रवासी यहां पर आता है, उसकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो पाये. स्थानीय पुलिस ने भी उपस्थित आक्रोशित भीड़ को शांत करते हुए कहा कि संदिग्धों को बख्शा नहीं जाएगा, उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
आईएसआईएस का संगठन पूरे विश्व में अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जाना जाता रहा है, ऐसे में कई महीने से चर्च में रह रहा यह युवक अपनी गतिविधियां चलाता रहा. चर्च के संचालक इससे अनभिज्ञता जता रहे हैं, पर उन्होंने इस युवक को शरण देने के बारे में न तो पुलिस और न ही स्थानीय प्रशासन को इस बात की सूचना दी. चर्च भी एक स्थानीय रिहायशी मकान में चल रहा था, जिसमें सिर्फ चर्च का बोर्ड लगाया गया था. सार्वजनिक चर्च को रिहायशी बंद कमरे से चलाना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है. यहां पर ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले प्रचारक भी उस कथित एजेंट के अधीन ही काम कर रहे थे. आरोपी बंगलौर का रहने वाला है तथा नियमित रूप से यहां आता रहता था, वर्तमान में पिछले चार पांच महीने से चर्च में डेरा जमाए हुए था.