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कटारपुर में गौरक्षक बलिदानियों का स्मरण किया

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देहरादून (विसंकें). आठ फरवरी, 2018 को गंगा जी के पास बसे कटारपुर (हरिद्वार) में ‘गौरक्षक बलिदान दिवस’ पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. सन् 1918 में ‘ईद उल जुहा’ पर मुसलमानों ने अंग्रेज कलेक्टर एवं मुसलमान थानेदार की शह पर सार्वजनिक रूप से गाय काटने की घोषणा की थी, पर हिन्दुओं ने यह नहीं होने दिया. इस संघर्ष में कई मुसलमानों के साथ ही महंत रामपुरी जी भी मारे गये थे. मुकदमे के बाद चार हिन्दू वीरों को आठ फरवरी, 1920 को फांसी दी गई व 135 लोगों को कालेपानी की सजा भी हुई. उसके बाद से प्रतिवर्ष इस दिन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होता है.

इस बार घटना की शताब्दी पर विराट श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी तथा विश्व हिन्दू परिषद के संगठन महामंत्री दिनेश चंद्र जी भी उपस्थित थे. जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य अवधेशानंद जी तथा अनेक संतों ने भी वहां आकर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये.

श्रद्धांजलि सभा में पूज्य अवधेशानंद जी ने गाय की महिमा बताते हुए कहा कि गौसेवा का व्रत लेने से शारीरिक, मानसिक एवं पारिवारिक कष्ट दूर होते हैं. गोमूत्र को गंगाजल जैसा पवित्र तथा गोबर में लक्ष्मी का वास बताया. दिनेश चंद्र जी ने दक्षिण भारत के वैज्ञानिक का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने अनुसंधानों से सिद्ध किया है कि गाय के शरीर के जिस अंग में जिस देवता का वास कहा गया है, वह शत-प्रतिशत सत्य है.

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी ने गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए शासन द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में बताया. उन्होंने देसी और विदेशी गायों की तुलना करते हुए कहा कि परीक्षणों ने सिद्ध किया है कि देसी गाय हर मौसम में स्वस्थ रहती है, जबकि विदेशी गाय तथा जरसी आदि बहुत जल्दी बीमार पड़ जाती हैं. अब ऐसी तकनीक विकसित हो गयी है, जिससे 90 प्रतिशत तक बछिया का ही जन्म होगा. इसका लाभ लेने के लिए राज्य में संस्थान बनाए जा रहे हैं. भारतीय नस्ल की गायों से ब्राजील जैसे देश 40 लीटर दूध ले रहे हैं. यदि यहां वैज्ञानिक रीति से गर्भाधान हो, तो 20 साल में हम भी ऐसा कर सकते हैं. पतंजलि वाले हर दिन एक लाख लीटर गोमूत्र से अर्क बना रहे हैं. अतः गोमूत्र भी अब पांच रु. लीटर बिकने लगा है.

सभा से पूर्व सबने बलिदानी स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये तथा ऐतिहासिक इमली के पेड़ के पास आयोजित यज्ञ में भाग लिया. सभा में बलिदानी परिवारों के वंशजों का मुख्यमंत्री व अन्य जनप्रतिनिधियों ने सम्मान किया.

स्थानीय लोग चाहते हैं कि कटारपुर तथा इसके निकटवर्ती क्षेत्र का ‘गौ-तीर्थ’ के रूप में विकास हो. इसके लिए बनी समिति ने एक मेले का आयोजन किया. इसमें गोकथा, विशाल दंगल, स्वस्थ गौ प्रतियोगिता तथा गौ उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी गई. इनमें आसपास के हजारों ग्रामीणों ने उत्साह से भाग लिया. उपस्थित लोगों के भोजन का प्रबंध गांव वालों ने ही किया.

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