कठुआ रेप केस की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम के सदस्य भी अब खुद जांच के घेरे में आ गए हैं. आरोप है कि क्राइम ब्रांच के 6 सदस्यों ने केस में बरी विशाल जंगोत्रा को फंसाने के लिए फर्जी सबूत गढ़े और उसके साथियों को झूठे बयान दिलवाने के लिए मजबूर किया. इस मामले में अब जम्मू की एक अदालत ने एसआईटी के 6 सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये हैं.
मंगलवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रेम सागर ने इस केस के गवाहों सचिन शर्मा, नीरज शर्मा और साहिल शर्मा की एक याचिका पर जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को निर्देश देते हुए कहा कि इन छह लोगों के खिलाफ संज्ञेय अपराध बनता है. अदालत ने तत्कालीन एसएसपी आरके जल्ला (अब सेवानिवृत्त), एएसपी पीरजादा नाविद, पुलिस उपाधीक्षकों शतम्बरी शर्मा और निसार हुसैन, पुलिस की अपराध शाखा के उप निरीक्षक उर्फन वानी और केवल किशोर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये हैं और जम्मू के एसएसपी से 11 नवम्बर को मामले की अगली सुनवाई पर अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा है.
पठानकोर्ट जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने इस साल जून महीने में तीन मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि मामले में सबूत मिटाने के लिए अन्य तीन को पांच वर्ष जेल की सजा सुनाई थी. जबकि 7वें आरोपी विशाल जंगोत्रा को बेगुनाह मानते हुए बरी कर दिया था.
आरोप है कि विशाल जंगोत्रा को फंसाने के लिए एसआईटी टीम ने फर्जी सबूत गढ़े थे और विशाल के साथियों को टॉर्चर कर झूठे बयान देने के लिए मज़बूर किया था. लेकिन पठानकोट कोर्ट में ये आरोप साबित नहीं कर पाए.
विशाल के इन्हीं 3 साथियों ने कोर्ट से एसआईटी पर थर्ड-डिग्री का इस्तेमाल कर झूठे बयान दिलवाने का आरोप लगाते हुए उन पर पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. जिसे कोर्ट ने प्रथम दृष्ट्या सही माना और पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये.