दिल्ली, 2 अगस्त , 2014 हिन्दुओं की परंपरागत कौसरनाग यात्रा, जो काश्मीरी पंडित युगों से करते आये वह काश्मीर के हुर्रियत और अन्य अलगाववादियों ने रोक दी है, पथराव किया है और आज उन्होंने श्रीनगर समेत कश्मीर बंद किया है. कौसरनाग प्राचीन काल से कोनसर नाग ( कोण + सर ; सर याने सरोवर, तालाब ) नाम से जाना जाता है. अत्युच्च अल्टीट्यूड पर प्राकृतिक झरनों से बना सबसे बड़ा कौसरनाग हिन्दुओं का प्राचीन तीर्थस्थान रहा है. 1990 में कश्मीरी अलगाववादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों पर और सिखों पर जानलेवा हमलें कर, कइयों की जान लेकर उन्हें काश्मीर से जबरन भगाने के बाद कौसरनाग की यात्रा रुकी थी जो गत 4 से अधिक वर्षों से फिर से आरम्भ हुयी. कौसरनाग हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव जी ने विश्व का संहार करने के समय देवी पार्वती ने सभी वृक्षों के बीज इकठ्ठा किये ताकि जब फिर से सृष्टि का आरम्भ करना हो तब बीज तैयार रहें. इतने सारे बीज देवी अपने पल्लू में तो नहीं समा सकती थी, इसलिए उन्होंने नौका का रूप लिया. प्रलय हुआ तब भगवान विष्णु जी ने यह नौका ऊँचे नुकीले शिखर से बाँधी ताकि वह बह ना जाये. यही कोण सर : कौसर नाग. वहाँ से झरने और नदी निकलती हैं वे और यह सरोवर देवी पार्वती का रूप माना जाता है और भगवान शिव जी, विष्णु जी एवं देवी पार्वती तथा काश्यप ऋषि जी के भक्त वहाँ श्रावण में सदियों से पूजन करते जाते हैं.
जम्मू काश्मीर सरकार ने श्रीनगर के पास के अहरबल होकर जाने वाली कौसरनाग यात्रा को अनुमति दे रखी थी. लेकिन कश्मीरी अलगाववादियों के हिंसक दबाव के सामने राज्य सरकार झुकी और अति दूर के रियासी के रास्ते से यात्रा ले जाने का कहा, जहाँ के अति दुर्गम और पाकिस्तान की गोलीबारी वालें क्षेत्र से सेना भी सम्हालकर जाती है! कौसरनाग यात्रा का रास्ता रोकने के लिए सरकार ने पर्यावरण का निमित्त दिया जब कि हुर्रियत के गीलानी बयान दे चुके हैं कि ऐसी यात्राओं से हिन्दू कश्मीर में घुस रहे हैं और वे हिन्दुओं को नहीं आने देंगे!
कौसरनाग यात्रा इस प्रकार बाधित होने का विरोध करते हुये विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया जी ने कहा, “भारत में और भारत से बाहर जाकर भी अनेक धर्मों/पंथों की यात्रायें/दर्शन आदि चलते हैं. कुछ पूर्ण वर्ष होते हैं, कुछ विशिष्ट समय पर. केंद्र सरकार और उन स्थानों की राज्य सरकारें इन यात्राओं/धार्मिक आयोजनों/दर्शनों के लिये अनेक सुविधायें देते हैं- परिवहन, रेलवे, विमान, सब्सिडी, पानी, अन्न, तम्बू, दवाइयाँ, रास्तें, सुरक्षा आदि. उदाहरण: अजमेर दरगाह, हज़, अनेक जामा मस्जिदें, चर्चेस में होने वाले कार्निवल/प्रार्थनाएं, हेमकुंड साहिब यात्रा, अमृतसर सुवर्णमन्दिर, काशी यात्रा, ४ धाम, गया, सारनाथ, महाकुम्भ आदि अनेक. काश्मीर में भी हिन्दुओं के अनेक प्राचीन मंदिर/सरोवर/धार्मिक स्थान और यात्रायें थी जिन का उल्लेख कल्हण के ‘राजतरंगिणी’ में और प्राचीन ‘नीलमत ‘ में मिलते हैं. जैसे कि अनंतनाग का सूर्य मंदिर, खीर (क्षीर) भवानी, त्रिपुरसुंदरी देवी, अमरनाथ, वैष्णो देवी, रघुनाथ मंदिर, कौसरनाग, शिवखोडी गुम्फा, विजयेश्वर शिव मंदिर और ऐसे हजारों स्थान. हर स्थान की यात्रा और दर्शन की समयानुसार परंपरा थी. इनमे से अनेक स्थान आज काश्मीरी अलगाववादियों के कारण तोड़े गये, कुछ स्थानों तक जाने वाले रास्तों को बंद किया गया, कुछ उन्होंने कब्ज़ा कर लिये. जो बचे हैं, उन की यात्रा फिर भी अनेक खतरों से होकर हिन्दू कर रहे हैं – जैसे अमरनाथ, वैष्णो देवी, खीर भवानी, कौसरनाग, बूढ़ा अमरनाथ आदि. लेकिन एक नियोजित षड्यंत्र के तहत कश्मीरी अलगाववादी अब वे यात्रायें और दर्शन भी बंद कराना चाहते हैं. 2008 में अमरनाथ के मुद्दे पर बड़ा बवाल कर उन्होंने वह यात्रा भी बंद कराने का प्रयास किया. लेकिन देशभर से हिन्दू खड़े हुये और 60 दिन से ऊपर चले लम्बे लोकतांत्रिक आंदोलन के बाद और कई हिन्दुओं की जान चली जाने के बाद अमरनाथ यात्रा का वह विघ्न दूर हुआ. फिर भी आज भी अमरनाथ जाने वाले यात्रियों पर हमलें करना, उन के खाने के लंगर के तम्बू जलाना ऐसी हरकतें अलगाववादी कर ही रहे हैं.
आज उन अलगाववादियों ने प्राचीन कौसरनाग की यात्रा भी रोकी है. पर्यावरण का नाम आगे कर सरकार अलगाववादियों के सामने झुक गयी. अगर पर्यावरण का ही निमित्त करना हो तो भारत की अनेक प्रकार की प्रार्थनायें ध्वनि प्रदूषण का निमित्त कर रोकी जा सकती हैं. सच तो यह है कि काश्मीर के अलगाववादी किसी भी हिन्दू को काश्मीर आने ही नहीं देना चाहते हैं. आज स्वतंत्र भारत में सभी प्राचीन यात्रायें, सभी का हर स्थान पर प्रवास आदि पर इस प्रकार की हिंसक रीति से रोक लगाना यह शर्मनाक बात है. काश्मीर भारत का अंग है और हर हिन्दू को अपने वहाँ के हर धार्मिक/सांस्कृतिक स्थान पर जाने का/दर्शन करने का पूर्ण अधिकार है. कोई ऐसी रोक काश्मीर में लगाने का प्रयास करेगा तो अन्य स्थानों पर भी अनेक लोगों की अनेक धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने की माँग उठने का धोका हो सकता है!”
डॉ तोगड़िया जी ने माँग की है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर तुरंत श्रावण में चलने वाली कौसरनाग यात्रा का मार्ग सुकर करें, काश्मीरी पंडितों को अपने दर्शन पूजन निर्विघ्न करने में मदद करें और सुरक्षा दें. केंद्र सरकार आगे भी कश्मीर की अनेक प्राचीन यात्रायें पुनर्जीवित करें, प्राचीन रम्य और धार्मिक स्थानों का जीर्णोद्धार करें और धार्मिक एवं प्रवासी टूरिजम बढ़ाने दिशा में एक कदम बढ़ायें.