वाराणसी (विसंकें). छात्र स्वास्थ्य केन्द्र के निकट कृषि मैदान से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवीय नगर के स्वयंसेवकों का पथ-संचलन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना स्थल तक जाकर सम्पन्न हुआ. भारतरत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी की तपोस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना के 102 वर्ष पूर्ण होने पर बसंत पंचमी के अवसर पर विश्वविद्यालय के स्वयंसेवकों ने सधे कदमों के साथ अनुशासनबद्ध होकर नवीन गणवेश में पथसंचलन किया.
संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरूजी, भारत माता तथा भारतरत्न पं. मदन मोहन मालवीय जी के विशाल चित्र के पीछे-पीछे पूर्ण गणवेश में पंक्तिबद्ध होकर स्वयंसेवकों ने घोष की थाप पर समता से पथ संचलन किया. सिंहद्वार सहित अनेक स्थानों पर लोगों ने पथसंचलन का स्वागत किया.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक अनिल जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने हस्तलिखित संविधान में रामकृष्ण मिशन में सन्यासियों से आग्रह किया कि देश में भ्रमण करके सबको अवगत कराएं. महामना द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य था – हिन्दू धर्म का मानवर्धन करना, तकनीकी विकास के साथ देश के नैतिक बल को पुष्ट करना. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र देश विदेश में अपनी छाप छोड़ते हैं. इसी विश्वविद्यालय से द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर जी (श्रीगुरूजी) ने शिक्षा प्राप्त की और यहीं पर शिक्षक भी रहे. महामना और डॉ. हेडगेवार जी की पहली मुलाकात नागपुर में संघ की शाखा पर हुई थी. महामना ने बीएचयू के लॉ कॉलेज में संघ कार्यलय के लिए स्थान दिया, नागपुर के बाद संघ की दूसरी शाखा काशी में लगी थी. सन् 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा तो इसके प्रतिरोध में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 280 छात्रों ने अपनी गिरफ्तारी दी थी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और संघ का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है. हमें इसका सदैव मान रखना चाहिये.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वर्तमान स्थिति स्वयंसेवकों के असीम तप और साधना का परिणाम है. संघ पर सरकार ने चार बार प्रतिबंध लगाया. किन्तु स्वयंसेवकों के तप और साधना से आज भी यह अपनी जगह पर अडिग है और ढृढ़ता के साथ बढ़ता जा रहा है. संघ की कोई नई परिभाषा नही है. संघ स्वामी विवेकानन्द और महामना के सपनों को पूरा करने के लिए तत्पर और प्रयासरत है. संघ का उद्देश्य भारत को उत्कृट राष्ट्र बनाना है. सन् 1734 में 14 वर्ष के वीर हकीकत राय को बसंत पंचमी के दिन फांसी दे दी गई, क्योकिं उसने इस्लाम धर्म नहीं स्वीकार किया. बसंत पंचमी उमंग का पर्व है. लोग नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें.