करंट टॉपिक्स

कुछ शर्म करो – हमारे जवान मरे नहीं, वे कर्तव्य पथ पर बलिदान देकर अमर हो गए हैं

Spread the love

पुलवामा के अवंतीपुरा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 49 जवान शहीद हुए हैं. हमारी सुरक्षा के लिए तत्पर इन वीरों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया. लेकिन अंग्रेजीदां मीडिया के लिये ये जवान केवल मारे गए हैं. शहीद शब्द से शायद उन्हें नफरत है या फिर उन्हें शब्दों के अर्थ की समझ नहीं है. शहीद न समझ आए तो वीर बलिदानी शब्द भी है, ये भी समझ ना आए तो अंग्रेजी में इसे कहते हैं Martyr. मगर अधिकांश अंग्रेजी अखबारों ने Killed शब्द का ही उपयोग किया है.

जहां विश्व के समस्त देश आतंकी हमला करार देते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं, वहां हमारे ही देश का मीडिया क्या लिख रहा है, कौन सी दिशा ले रहा है, इसे समझना होगा. इनमें सबसे बेशर्म रहा – टाइम्स ऑफ इंडिया. इसकी हेडलाइऩ देख समझ आता है कि वह इसे आतंकी हमला नहीं मानता, बल्कि एक स्थानीय युवक का कृत्य मानता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की शरारत या सोच देखें, दिल्ली संस्करण की हेडलाइन कहती है – कश्मीर के एक स्थानीय युवक ने आईडी से भरी गाड़ी सीआरपीएफ के काफिले में भिड़ा दी और सरकार पाकिस्तान पर दोषारोपण कर रही है, वे पाकिस्तान में प्रशिक्षित जेश-ए-मुहम्मद के आतंकी आदिल को आतंकी कहने में हिचक रहे हैं. जबकि इसी समाचार पत्र के अहमदाबाद संस्करण की हेडलाइन के अनुसार – भारत, पाकिस्तान पर दोषारोपण कर रहा है, मानो, वे भारत से बाहर बैठकर समाचार पत्र छाप रहे हैं.

द हिन्दू और एनडीटीवी तो उन्हें केवल आदमी मान रहा है, सैनिक नहीं. दोनों ने हेडलाइन में सीआरपीएफ के जवानों को सीआरपीएफ मैन लिखा है. न जाने क्यों इन्हें सैनिक या जवान लिखने में कोई हिचक है.

हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दू, टेलीग्राफ, टाइम्स ऑफ इंडिया और एनडीटीवी, द वायर सहित अन्य के अनुसार देश के वीर जवान शहीद नहीं हुए, बल्कि मारे गए/मरे हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

एनडीटीवी की एक डिप्टी न्यूज़ एडिटर डाउज़ द जैश हैशटेग के साथ फेसबुक पर पोस्ट कर रही हैं, उनकी पोस्ट बेशर्मी को समझने के लिए काफी है. हालांकि एनडीटीवी प्रबंधन उन्हें दो सप्ताह के लिये सस्पेंड करने का दावा कर रहा है, लेकिन कहा यह भी जा रहा है कि उन्हें छुट्टी पर भेजा गया है.

हे, तथाकथित अभिव्यक्ति के ठेकेदारो, भले ही जंग के मोर्चे पर नहीं, लेकिन हमारे वीर जवान कर्तव्य पथ पर बढ़ते हुए शहीद हुए हैं. उन्होंने हमारे लिये बलिदान दिया है, इसलिए उनके लिये सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करो.

अब Scroll.in की Executive Editor साहिबा के ट्विट को ही लें. आज  आतंकी आदिल के वीडियो पर स्टोरी के साथ ट्विट किया है. जो उनके विचार दृष्टि को स्पष्ट कर रहा है….

यदि 40 पत्थरबाज मारे गए होते तो पूरे देश में हायतौबा मच जाती और सबसे आगे यही मीडिया होता. जो आज अमर बलिदानियों के बलिदान को नकार रहा है. उन्हें बलिदान या शहीद लिखने में शर्म आती है. यही वे तथाकथित लोग हैं जो देश की जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. तथ्यों को तोड़-मरोड़कर दिखाते हैं.

आप भले ही बेशर्म होकर उनके बलिदान को न स्वीकारें, लेकिन देश की जनता अपने वीर बलिदानियों को नमन करती है और उनके परिवार के साथ खड़ी है.

निकुंज सूद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *