करंट टॉपिक्स

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है – डॉ. दयानंद शर्मा जी

Spread the love

शिमला (विसंकें). मासिक पत्रिका मातृवंदना के संपादक डॉ. दयानंद शर्मा जी ने कहा कि विपणन तंत्र पर सरकार अपना नियंत्रण खोती जा रही है, जिस कारण आम किसान बेहाल हो गया है. साथ ही रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर सरकारी नियंत्रण के स्थान पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का राज है. सरकार इनके विकल्पों को खोजे बिना गांवों का सही विकास नहीं कर पाएगी. डॉ. दयानंद जी मातृवंदना पत्रिका विशेषांक के विमोचन अवसर पर संबोधित कर रहे थे. विशेषांक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन नाभा स्थित हेडगेवार भवन में किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संतोष उपस्थित रहीं.

डॉ. दयानंद शर्मा जी ने कहा कि इस बार पत्रिका विशेषांक का विषय ग्रामीण विकास रखा गया है, जिससे भारत के विकास का आधार गांवों पर नीति निर्माताओं का ध्यान जाए. गांव में रहने वाले लोग अधिकतर कृषि करते हैं और कृषि ही वो सैक्टर है जो भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है. उन्होंने किसानों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज बाजारवादी नीतियों के कारण कृषि क्षेत्र संकुचित होता जा रहा है. उन्होंने देश में बढ़ रहे शहरीकरण को किसानों के लिए खतरा बताते हुए कहा कि अत्यधिक शहरीकरण के कारण अब किसान एकमुश्त फसल काट रहे हैं और वह फसल है, जमीनों को बेचकर कमायी पैसे की फसल. उन्होंने वर्तमान विपणन तंत्र की निष्क्रियता पर चिंता जताते हुए कहा कि आज का विपणन तंत्र सरकारी नियंत्रण से बिल्कुल बाहर हो गया है. यहां पर बिचौलिये मनचाहा मुनाफा बटोर रहे हैं, जबकि आम किसान बेहाल है. प्रदेश में लगातार जारी सांस्कृतिक पतन की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए तेजी से शहरों की ओर उन्मुख हो रहे हैं, जिससे हमारे गांवों में लगातार सांस्कृतिक पतन हो रहा है. अगर गांवों में अच्छे विद्यालय, सड़कें और स्कूल बना दिये जाएं तो इससे शहरीकरण रूकेगा और ग्रामीण विकास का स्वप्न यथार्थ रूप में पूरा होगा.

कार्यक्रम की मुख्य अथिति डॉ. संतोष मिन्हास जी ने कहा कि गांवों के विकास में महिलाओं के योगदान को सुनिश्चित करना होगा. ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के बिना ग्राम विकास की हर कल्पना अधूरी है. उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि अपने कार्यकाल में महिलाओं के दुख दर्द को करीब से महसूस किया है. ऐसे में महिलाओं के उत्थान की ओर सबको ध्यान देने की आवश्यकता है.

कार्यक्रम की संयोजिका मीनाक्षी सूद जी ने मातृवंदना पत्रिका का उल्लेख करते हुए बताया कि इस समय पत्रिका के पाठकों की संख्या 03 लाख का आंकड़ा पार गयी है. प्रदेश के 35 हजार परिवारों तक पत्रिका की पहुंच है. यह पत्रिका भारत की एकता और सांस्कृतिक विरासत को संभालने का काम कर रही है, यही कारण है कि इसके पाठकों में लगातार वृद्धि देखने को मिली है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *