नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पृश्यता, जातिवाद व सामाजिक भेद-भाव के विरुद्ध दृढ़ता से लड़ने वाले एक महानायक थे. उनकी जयंती को विश्व हिन्दू परिषद् इस बार कोरोना के स्वच्छता योद्धाओं को, सरकारी नियमों का पालन करते हुए, सुरक्षा मास्क, हेंड ग्लव्स व सेनेटाईजर के साथ सम्मान कर मनाएगी.
उन्होंने कहा कि हर वर्ष की भांति, बाबा साहब की जयंती पर उनकी प्रतिमाओं पर जगह-जगह माल्यार्पण, संसद मार्ग पर कुम्भ मेला इत्यादि बड़े-बड़े व भव्य कार्यक्रम तो महामारी संकट के चलते, इस बार सम्भव नहीं हैं. किन्तु, फिर भी कोरोना का आतंक देशवासियों को अपने इस महापुरुष को श्रद्धांजलि देने से नहीं रोक सकता.
उन्होंने आग्रह किया कि हम सब अपने-अपने घरों पर रहते हुए, बाबा साहब का चित्र सामने रख, उनके प्रेरक प्रसंगों का वाचन करते हुए, समरस समाज के निर्माण का संकल्प लें. आज कोरोना के विरूद्ध संघर्ष में हमारे सफाई कर्मी एक योद्धा की तरह काम कर रहे हैं. उनको सम्मानित करके हम बाबा साहब को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि देंगे.
बाबा साहब को याद करते हुए कहा कि जातिवाद व अस्पृश्यता का दंश बचपन से झेला. इन अपमानों के बावजूद मन में कोई कड़वाहट न रखते हुए उन्होंने समरस समाज के निर्माण के लिए जीवन भर संघर्ष किया. डॉ. अम्बेडकर ‘सामाजिक न्याय’ के अप्रतिम योद्धा थे. उन्होंने कहा था कि अगर अस्पृश्यता की रूढ़ि से मुक्त होकर आत्म स्वातंत्र्य प्राप्त होता है तो इससे केवल दलित समाज अपनी ही उन्नति नहीं करेगा, बल्कि अपने पराक्रम व बुद्धि से देश की उन्नति के लिए कारक सिद्ध होगा.
संविधान सभा की समापन बैठक में बाबा साहब ने कहा कि संविधान से राजनीतिक समता तो आई है, पर हमें राजनीतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र में भी बदलना होगा. एक ऐसा अस्पृश्यता मुक्त समाज, जिसमें स्वाधीनता हो, समानता हो और बंधुत्व हो, का निर्माण होना चाहिए.
बाबा साहब का यह कार्य अभी शेष है. उनकी जयंती पर विश्व हिंदू परिषद, इन लक्ष्यों पर काम करते रहने के लिए पुनः अपने को समर्पित करती है.