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गाय हमारी सृष्टि का आधार है – अजित प्रसाद महापात्रा

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मुजफ्फरनगर/शामली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गौ सेवा सह प्रमुख अजित प्रसाद महापात्रा ने कहा कि गाय हमारी सृष्टि का आधार है. प्रकृति के पंचतत्व का उपचार गौ मूत्र से ही सम्भव है. विदेशी कुचक्र के कारण ही हम अपनी संस्कृति को भूलकर गौ संवर्द्धन एवं खेती में गाय के गोबर व गौमूत्र के उपयोग से दूर होते जा रहे हैं. यदि इसे नहीं रोका गया तो भारतीय संरचना बिगड़ जाएगी.

स्थानीय वृंदावन गार्डन में आयोजित गौ सेवा संगम कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अजित प्रसाद महापात्रा ने कहा कि विदेशी ताकतें अपने लाभ और कुचक्र के लिये भारत की भूमि, पर्यावरण एवं प्रकृति को विषैला बनाने पर तुले हुए हैं. इसी कुचक्र के कारण देश की उर्वरक भूमि पर यूरिया, हानिकारक पेस्टीसाइड्स और विषैले कैमिकल डालकर खेती की जा रही है. इससे हमें विषैला अन्न और भोजन मिल रहा है और गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं. इसे रोकने के लिये गौ संवर्द्धन और खेती में गाय का गोबर और गौमूत्र का प्रयोग बढ़ाना जरुरी है. उन्होंने कहा कि प्राचीन युग में आम आदमी, किसान गौमूत्र व गोबर की उपयोगिता से भलीभांति परिचित थे. गौ आधारित खेती पेस्टीसाइड्स आधारित खेती से दस गुना सस्ती पड़ती है.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महर्षि पातंजलि अन्तर्राष्ट्रीय योग विद्यापीठ के स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने कहा कि चिकित्सक भी जिन गंभीर बीमार मरीजों को जवाब दे देते हैं, उन्हें भी गौमूत्र की सहायता से बचाया जा सका है. गाय का जीवन में मां से अधिक महत्त्व है. मां एक बार दूध पिलाती है, लेकिन गाय हमें जीवन पर्यन्त दूध पिलाती रहती है. विदेशी नस्ल की गाय के दूध में वह गुण नहीं हैं जो देशी नस्ल की हमारी गायों के दूध में होते हैं. यह दूध अमृत के समान है.

कार्यक्रम में गौ सेवा, गौ पालन, गौ संरक्षण, गौ आधारित कृषि के संबंध में जानकारी दी गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता शुक्रतीर्थ स्थित गौडीय मठ के स्वामी भक्ति भूषण गोविन्द महाराज ने की.

अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजित महापात्रा द्वारा शामली में एक संविदा यंत्र का शुभारम्भ भी किया गया. गोबर से कंडे (उपले) बनाने वाला यह अग्नि संविदा यन्त्र जनपद में अपनी तरह का पहला यन्त्र है. अजित जी ने गौशाला में निवास कर रही गायों का पूजन भी किया.

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