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गैर कानूनी, अनैतिक एवं राष्ट्रविरोधी फ्लिपकार्ट-वालमार्ट सौदा रद्द हो – अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत

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नई दिल्ली. समाचार पत्रों के मुताबिक अमरीका की विशालकाय कंपनी वालमार्ट-फ्लिपकार्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सिंगापुर व भारत की नियंत्रण हिस्सेदारी खरीद रही है, जिसे सिंगापुर और भारत स्थित उसकी सहायक कंपनियों द्वारा चलाने की योजना है. सर्वविदित है कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई न केवल उद्यमशीलता को मार देगा, बल्कि यह किसान विरोधी व्यवहार है जो बाजार में रोजगार निर्माण के अवसरों को भी खत्म कर देगा. इसलिए इसे बाहर रखा गया है. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वॉलमार्ट भारतीय बाजार पर हमला करने के लिए नियमों का उल्लंघन कर ई-कॉमर्स के रास्ते घुसपैठ की कोशिश कर रहा है. इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि दुनिया में कहीं भी वॉलमार्ट प्लेटफार्म मॉडल पर काम नहीं करता.

हम अन्य देशों के अनुभव से जानते हैं कि जहां भी ऐसी घरेलू कंपनियां मौजूद थीं, वे सभी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के हाथ बेच दी गई. दुनिया भर में वॉलमार्ट और कोस्को जैसे दिग्गजों ने इन कंपनियों पर एक तरह से कब्जा कर लिया है. यह सौदा दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आश्चर्य की बात नहीं है. यही खतरा अब हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. फ्लिपकार्ट के जरिये वालमार्ट भारतीय बाजार को अपने कब्जे में करने का सुनियोजित षडयंत्र रच रहा है. यह एक अनैतिक और राष्ट्रीय हितों के साथ-साथ देश के कानून के उल्लंघन का भी मामला है.

फ्लिपकार्ट के माध्यम से यह न केवल एक चोर दरवाजे से वालमार्ट का आगमन है, बल्कि भारतीय बाजार में उसके घुसपैठ की कोशिश भी है. इससे छोटे और मध्यम व्यवसाय छोटी दुकानें और इन उद्यमों से अधिक नौकरियां पैदा करने का मौका खत्म हो जाएगा. इनमें से अधिकतर छोटे उद्यमी पहले से ही अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं. ऐसे में वालमार्ट के आने से उनके लिए और समस्याएं पैदा होंगी.

जरूरत है कि समाज के निचले हिस्से तक के लोगों के हितों की रक्षा की जाए. गौरतलब है कि वालमार्ट चीनी वस्तुओं का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है. चीन से माल खरीदने वाले छह देशों के बाद वालमार्ट कंपनी का स्थान सातवां है. यह कंपनी चीनी उत्पादों को ओर बढ़ावा देगी. जिससे हमारे छोटे और मध्यम उद्यमों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा तथा महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक  इन इंडिया’ को भी प्रभावित करेगा. हम सभी जानते हैं कि मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में वालमार्ट की अधिक रुचि है, ऐसे में दोनों (वालमार्ट व फ्लिपकार्ट) का सौदा किसानों के हितों को भी नुकसान पहुंचाएगा.

भारत के किसान, किसान उत्पादक संगठनों के जरिये प्रशिक्षित होने की प्रक्रिया में हैं. उन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) से निपटने तथा उनके उत्पादन और उसके उचित मूल्य को समझने में अभी समय लगेगा. ऐसे में वालमार्ट के आने से उनकी यह सारी कोशिश बेकार जाएगी. किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार काम कर रही है, लेकिन हमारा यह स्पष्ट मानना है कि ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां न सिर्फ इस सपने को चकनाचूर कर देंगी, बल्कि किसानों को उनकी फसलों के लिए मौजूदा बाजार ढांचे को नष्ट कर उन्हें भूखा मरने के लिए छोड़ देंगी.

हम मानते हैं कि किसान को न केवल अधिक कमाई करनी चाहिए, बल्कि उसे अपने उपज को बेचने के लिए भी स्वतंत्र होना चाहिए. इससे भारत की खाद्य सुरक्षा नीति को भी पर्याप्त बल मिलता है. लेकिन वालमार्ट के आने से इस लक्ष्य को भी नुकसान पहुंचेगा. हमारे अधिकांश किसान बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नक्शे कदम पर चलने के लिए बाध्य होंगे, जो निश्चित रूप से हमारे राष्ट्रीय हित में नहीं होगा.

भारत रणनीतिक रूप से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में ई-कॉमर्स पर चर्चा का विरोध करता रहा है. इस रणनीति को चुनने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि हमें अपने कानूनों और नियमों को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि भारतीय हितों को सर्वोत्तम रूप से संरक्षित किया जा सके. लेकिन वालमार्ट की यह घुसपैठ हमारे उद्देश्य को विफल कर देगी. ई-कॉमर्स के माध्यम से बी 2 बी व्यापार के लिए कोई नियम निर्धारित नहीं है, इसलिए उनके कामकाज पर कोई नियंत्रण नहीं है. नियमों और विनियमों की अनुपस्थिति में, फ्लिपकार्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मिंत्रा जबाँग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और इसी तरह की कंपनियों को मौजूदा या नए निवेशकों से सीधे या परोक्ष रूप से किसी भी धन को बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

यह  भ्रम भी फैलाया जा रहा है कि वालमार्ट की इस खरीदारी से आम ग्राहक को वस्तु कम दाम में मिलेगी, परंतु वालमार्ट अपनी शर्तों पर उत्पदकों से माल खरीदेगी और अपने हिसाब से कीमत तय करके ऊँचे दामों पर बेचेगी, जिससे एक ओर उत्पादक वालमार्ट कंपनी की आश्रित बनेंगे, दूसरी ओर ग्राहक को वस्तु ऊँचे दामो में मिलेगी.

ग्राहक पंचायत राष्ट्रहित “सर्वोपरी” मानकर ग्राहक जागरण का काम कर रही है और मानती है कि इस खरीद का दूरगामी परिणाम राष्ट्र के आर्थिक परिपेक्ष में अति गंभीर रूप से नुकसान करने वाला होगा एवं ग्राहक का शोषण करने वाला होगा.

 

नारायण भाई शाह

राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत

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