जयपुर के बगरू में मुस्लिम परिवार में जन्मे 69 वर्षीय रमजान खां उर्फ मुन्ना मास्टर को इस बार पद्मश्री पुरस्कार देने के लिए चयनित किया गया है.
मुन्ना मास्टर ने गाय और भगवान कृष्ण पर खुद भजन भी लिखे हैं. भारतीय संस्कृति के विविध रंगों को अपने भीतर समेटे मुन्ना भजन गाते हैं एवं संस्कृत भी जानते हैं और गौसेवा भी करते हैं. मुन्ना के पिता मास्टर गफूर खां भी गौभक्त रहे, वे गौ ग्रास के बाद ही भोजन लेते थे. पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए मुन्ना भी गौ सेवक बने और पूरा दिन गौशाला में गोवंश की सेवा में ही गुजारते हैं.
मुन्ना मास्टर 15 वर्षों से गौपालन से जुड़े हैं. प्रतिदिन गौशाला के मंदिर में गौरक्षा हरिनाम संकीर्तन करते हैं. उन्हें सुंदरकांड, हनुमान चालीसा व कई भजन कंठस्थ हैं. मुन्ना ने श्याम सुरभि वंदना शीर्षक से भजन पुस्तिका भी लिखी है. जब उन्हें पद्म पुरस्कार मिलने की सूचना मिली, तो उस समय वे गौशाला में भजन गा रहे थे. पुरस्कार को उन्होंने अकल्पनीय बताते हुए कहा कि यह गौ माता की सेवा और उनकी कृपा का ही परिणाम है. सरकार को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा – यह मेरे सहित समस्त भारतवासियों का सम्मान है.
मुन्ना मास्टर ने अपने चारों बेटों वकील, शकील, फिरोज व वारिस को भी संस्कृत विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करवाई है. मुन्ना मास्टर बताते हैं कि मैंने पूरे जीवन गौमाता की सेवा की है और श्याम के भजन गाए हैं. गौमाता की सेवा करने और भजन गाने से बेहद आनंद मिलता है.